किसी भी संस्थान में कितने प्रकार की सूचनाएँ एकत्रित कर प्रबन्धकों तक पहुंचायी जानी है इसके लिए निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता है। यह तो संस्था की आकृति, स्वभाव तथा व्यवसाय पर निर्भर करेगा। मोटे रूप में प्रबन्धों को निम्न प्रकार की सूचनाओं की आवश्कता होती है:
- लागत सम्बन्धी सूचनाएँ (Cost Informations): प्रवन्धकों को उत्पादन लागत केसम्बंध में निम्नलिखित सूचनाएं मिलनी चाहिए :
- उत्पादन की कुल लागत,
- उत्पादन की प्रति इकाई लागत,
- कुल लागत की विभिन्न मदों में विभाजन,
- प्रत्येक लागत मद का कुल लागत से प्रतिशत, वस्तु की प्रमाप लागत,
- विगत अवधि की वास्तविक लागत;
- प्रमाप लागत व वास्तविक लागत में अन्तर,
- उक्त अन्तर के कारण
- अवधि विशेष की बजट लागत’
- बजट लागत व वास्तविक लागत में अन्तर,
- उक्त अन्तर के कारणों का विश्लेषण।
- कर्मचारियों सम्बन्धी सूचनाएँ (Personnel Informations): कर्मचारी किसी भी की रीढ़ की हड्डी होते हैं। कर्मचारियों के सम्बन्ध में प्रबन्धकों को निम्नलिखित सूचनाओं की अवश्यकता है:
- कर्मचारियों के नाम तथा पते,
- कर्मचारियों की शैक्षणिक योग्यता;
- कर्मचारियों का कार्य अनुभवः
- कर्मचारियों का प्रशिक्षण,
- कर्मचारियों में कार्य बँटवारा’
- कर्मचारियों के कर्तव्यों में फेरबदल
- श्रम-निकासी की स्थिति
- कर्मचारियों की कार्यक्षमता व उत्पादकता,
- कर्मचारियों के वर्तमान वेतन, भत्ते, बोनस आदि;
- कर्मचारियों की माँगों के सम्बन्ध में सूचना,
- कर्मचारियों की पदोन्नति व हस्तांतरण सम्बन्धी नियमः
- अधिसमय कार्य के सम्बन्ध में सूचना;
- श्रम संगठनों (Trade union) की गतिविधियों के सम्बन्ध में सूचना,
- कर्मचारियों के रिक्त स्थानों के सम्बन्ध में सूचना,
- श्रम असंतोष के सम्बन्ध में सूचना,
- नयी योजना के प्रति कर्मचारियों की प्रतिक्रिया।
- आन्तरिक परिवहन सम्बन्धी सूचना (Internal Transport Information: प्रत्येक संस्था में कच्चे माल, निर्मित माल व सामग्री को इधर-उधर ले जाने के लिए आन्तरिक परिवहन की व्यवस्था होती है। इस सम्बन्ध में निम्नलिखित सूचनाएँ आवश्यक होती
- प्राप्ति विभाग में सामग्री की प्राप्ति,
- प्राप्ति विभाग से सामग्री का संग्रहण विभाग को जाना,
- संग्रहण विभाग से सामग्री का उत्पादन विभाग को जाना,
- कुछ सामग्री का उत्पादन विभाग से वापस संग्रहण विभाग को आना,
- उत्पादन विभाग से दूसरे उत्पादन विभाग को सामग्री का हस्तान्तरणः
- माल का एक प्रक्रिया से दूसरी प्रक्रिया में जाना;
- प्रक्रिया में निर्मित माल का संग्रहण विभाग को जाना;
- संग्रहण विभाग से माल का विक्रय विभाग को हस्तान्तरण।
- विपणन सम्बन्धी सूचना (Marketing Information): वस्तुओं के विपणन के सम्बन्ध में प्रबन्धकों निम्नलिखित सूचनाओं की आवश्यकता होती है:
- घरेलू तथा विदेशी बाजारों में प्रतिस्पर्धा की स्थिति
- बाजार विकास योजना की सूचना;
- बाजार विकास योजना का विक्रय वृद्धि पर प्रभावः
- विज्ञान व प्रचार-प्रसार की स्थिति,
- प्रतिस्पर्धी बाजारों में वस्तु की स्थिति
- ग्राहकों की रुचि, आदत व फैशन में परिवर्तन सम्बन्धी सूचना,
- स्थानापन्न वस्तुओं की खोज के स्कंध में जानकारी,
- वर्तमान में उपलब्ध वस्तुओं के नवीन प्रयोगों की जानकारी,
- ग्राहकों की शिकायतों के सम्बन्ध में आनकारी,
- ग्राहकों की शिकायतों के समाधान के सम्बन्ध में जानकारी,
- मूल्य परिवर्तन के सम्बन्ध में जानकारी।
- अनुसंधान एवं विकास सम्बन्धी सूचनाएँ (Research and Development Informations): अनुसन्धान एवं विकास सम्बन्धी सूचनाएँ निम्न प्रकार की हो सकती है:
- संस्थान में चल रहे अनुसंधान कार्य,
- संस्थान में किये गये अनुसंधान कार्यों की प्रगति,
- संस्थान द्वारा हाथ में लिये जाने वाले नये अनुसंधान कार्यक्रम,
- संस्थान में चल रहे अनुसंधान कार्यों की लागत,
- अन्य संस्थाओं द्वारा किये जा रहे अनुसंधान कार्यक्रम,
- अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे अनुसन्धान कार्यक्रम,
- क्या अनुसन्धान कार्यों की लागत का उचित प्रतिफल प्राप्त हुआ है?
- क्या अनुसन्धान कार्य को और गहन करने की आवश्यकता है? आदि
- परियोजना अध्ययन सूचनाएँ (Project Study Informations): इस सम्बन्ध में निम्नलिखित सूचनाएँ आवश्यक हो सकती है
- संगठन में किन-किन परियोजनाओं पर अध्ययन कार्य चल रहा है,
- परियोजनाओं के अध्ययन से जात परिणाम,
- किसी परियोजना विशेष के अध्ययन में व्यय की गई लागत,
- परियोजना अध्ययन की प्रगति का मूल्यांकन,
- सामग्री नियन्त्रण सूचनाएँ (Materials Control Information): सामग्री के सम्बन्ध में प्रबन्धकों को समय-समय पर निम्नलिखित सूचनाएँ मिलती रहनी चाहिए:
- सामग्री के मूल्य परिवर्तन की सूचना,
- सामग्री में क्षय मात्रा की सूचना,
- भौतिक सत्यापन के फलस्वरूप सामग्री की मात्रा में अन्तर, की सूचना
- ऐसी सामग्री जिसका कम मात्रा में उपभोग होता है,
- ऐसी सामग्री जिसका बहुत अधिक मात्रा में उपभोग होता है,
- ऐसी वस्तुएँ जो अप्रचलित हो गई हैं।
- ऐसी सामग्री जिसका संस्था द्वारा वर्तमान में कोई उपयोग नहीं जा रहा है.
- आर्थिक आदेश मात्रा सम्बन्धी सूचनाः
- न्यूनतम व अधिकतम स्टॉक स्तर की सूचनाः
- पुनार्देश स्तर के सम्बन्ध में सूचना,
- सामग्री के उपयोग व आवर्तन के सम्बन्ध में सूचनाः
- सामग्री के संग्रहण की लागत सम्बन्धित सूचना, आदि।
- उत्पादन सम्बन्धी सूचनाएँ (Production Informations): उत्पादन कार्य के सम्बन्ध में अनेक प्रकार की सूचनाएँ प्रबन्धकों को प्रेषित की जाती हैं जो निम्न प्रकार
- संयंत्र की क्षमता का कितना उपयोग किया जा रहा है,
- श्रमिक कितनी कुशलता से कार्य कर रहे हैं.
- शक्ति (Power) आदि कितनी उपलब्ध है व इसका कितना उपयोग रहा है? वास्तविक विक्रय के सम्बन्ध में सूचना,
- वास्तविक बिक्री व प्रमाप बिक्री में अन्तर के सम्बन्ध में सूचना,
- अन्तर के कारणों के सम्बन्ध में सूचना,
- प्रमाप लाभ तथा वास्तविक लाभ की सूचनाः
- अपेक्षित व वास्तविक लाभ में अन्तर की सूचना,
- लाभ में अन्तर के कारणों की सूचना, आदि।
- आर्थिक स्थिति सम्बन्धी सूचनाएँ (Production Informations): संस्थान की आवश्यकताओं के अनुरूप धन उपलब्ध कराना प्रबन्धकों का कार्य है। जब प्रबन्धकों को संस्थान की आर्थिक स्थिति के सम्बन्ध में सही जानकारी नहीं होगी वे पर्याप्त धन की व्यवस्था करने में असमर्थ रहेंगे। इस सम्बन्ध में प्रबन्धकों को निम्नलिखित सूचनाओंकी आवश्यकता होती है:
- संस्था की आर्थिक स्थिति कैसी है,
- संस्था को किसी अवधि विशेष में कितनी रोकड़ की आवश्यकता होगी;
- क्या रोकड़ की पूर्ति आन्तरिक साधनों से की जायेगी;
- भविष्य में रोकड़ की प्राप्तियों व भुगतान के पूर्वानुमान क्या हैं;
- रोकड़ बजट सम्बन्धी सूचना, आदि।
- प्रतिस्पर्धा सम्बन्धी सूचनाएँ (Informations Regarding competition): प्रबन्धकों को बाजार में स्थित प्रतिस्पर्धी संस्थाओं की गतिविधियों की सूचना भी मिलनी चाहिए ताकि प्रबन्धक प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखते हुए ही उत्पादन तथा विक्रय नीतियों का निर्माण कर सके तथा मूल्य निर्धारण भी कर सकें। प्रबन्धकों को इस तथ्य से भी अवगत करवाया जाना चाहिए कि संस्था प्रतिस्पर्धा का सामना करने में सक्षम है या नहीं यदि ऐसा नहीं है तो क्या कदम उठाये जाने चाहिए।
- साधन सम्पूर्ति सम्बन्धी सूचनाएँ (Resource Supply Informations) : प्रवन्धकों को संस्था द्वारा समय-समय पर जो सम्पत्तियों क्रय की जाती है उनके क्रय के सम्बन्ध में अवगत कराना चाहिए। प्रबन्धकों को साधनों की पूर्ति के विषय में यह जानकारी भी दी जानी चाहिए कि क्या सभी साधन आवश्यकतानुसार उपलब्ध हैं अथवा नहीं। क्या किसी साधन का अभाव है या उस साधन का तत्काल क्रय करना आवश्यक है, आदि?
- वित्तीय सूचनाएँ (Financial Information System): इस सूचना के अन्तर्गत संस्था के अन्तिम लेखे सम्मिलित हैं। अतः लाभ-हानि खाता तथा चिट्ठा तैबार होते ही प्रबन्धकों के समक्ष प्रस्तुत कर देने चाहिए ताकि प्रबन्धक यथा समय निर्णय ले सकें।
सूचनाओं के प्रकार : महत्वपूर्ण सूचनाएं
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