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अवबोध एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति वातावरण से सूचनाओं व उत्तेजकों को ग्रहण करके उनका चयन, संयोजन एवं विवर्धन करते हैं। अवबोध के द्वारा ही चयनित सूचनाओं, ज्ञान एवं तथ्यर्थों का विचारपूर्वक प्रविधियन करके उनसे निर्णय लेते हैं तथा व्यवहार करते हैं। अवबोध आपने बारे में दूसरों के बारे में तथा दैनिक जीवन अनुभव के बारे में धारणा निर्मित करने का ढंग है। यह वह पर्दा या फिल्टर है जिससे सूचनायें लोगों पर प्रभाव डालने के पूर्व होकर गुजरती है। अवबोधन के निर्मित होने की एक निश्चित प्रणाली है। इसमें अनेक उप-क्रियायें सम्मिलित होती हैं जो एक दूसरे…

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व्यावसायिक प्रबन्ध में प्रबन्ध सूचना प्रणाली का महत्व तीव्र गति से बढ़ता जा रहा है। वर्तमान समय में व्यावसायिक इकाइयों के बढ़ते हुए आकार तथा उत्पादन की जटिलताओं के कारण प्रबन्ध महत्त्वपूर्ण तथ्यों की जाँच, उनका विश्लेषण एवं उनको समीभूत नहीं कर सकता। वह मात्र प्रबन्ध सूचना प्रणाली के माध्यम से ही संस्था के सम्पूर्ण क्रियाकलापों की जानकारी प्राप्त कर सकता है। आज व्यावसायिक प्रबन्ध बिना उपयुक्त सूचना प्रणाली के सफलतापूर्वक अपना कार्य संपादित नहीं कर सकता है। प्रबन्ध सूचना प्रणाली एक व्यावसायिक एवं औ‌द्योगिक उपक्रम के लिए अत्यन्त आवश्यक होती है क्योंकि इससे प्रबन्ध को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते…

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किसी उपक्रम में प्रबन्ध सूचना प्रणाली की स्थापना का एक विशिष्ट स्थान होता है। लिए विशेषज्ञों की सेवाएँ लेनी चाहिए। इसकी स्थापना हेतु प्रबन्ध के विभिन्न स्तरों केलिए सूचना की आवश्यकताओं की जानकारी करनी होती है तथा सूचनाओं के स्रोतों का निर्धारण किया जाता है। तत्पश्चात सूचनाओं का संग्रहण व विधियन (Processing) करके सम्बन्धित व्यक्तियों को प्रेषित किया है। प्रबन्ध सूचना प्रणाली की स्थापना के निम्नलिखित चरण हो सकते है: प्रबन्ध सूचना प्रणाली की स्थापना पूरा हो गया

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प्रबन्ध सूचना प्रणाली की तकनीकों का आशय उन साधनों से है जिनका उपयोग सूचना प्रणाली में सूचनाएँ प्रदान करने हेतु किया जाता है। इस प्रणाली हेतु निम्नलिखित तकनीकों का उपयोग किया जाता है: प्रबन्ध सूचना प्रणाली की तकनीकें पूरा हो गया

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सूचना प्रणाली की समीक्षा के उद्देश्य (Objectives of Reviewing the Information System): प्रबन्धकीय सूचना प्रणाली के अंकेक्षण का कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व यह ज्ञात करना आवश्यक है कि इस प्रणाली की समीक्षा क्यों की जा रही है तथा इससे अंकेक्षण के क्या उद्देश्य हैं। सामान्यतयाः निम्नांकित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु प्रवन्धकीय सूचना प्रणाली की समीक्षा की जाती है: अंकेक्षण, प्रक्रिया (Audit Procedure): प्रबन्धकीय सूचना प्रणाली की मितव्ययता व कार्यक्षमता की समीक्षा करने लिए प्रबन्ध अंकेक्षक को निम्न प्रक्रिया अपनानी चाहिए:

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किसी भी संस्थान में कितने प्रकार की सूचनाएँ एकत्रित कर प्रबन्धकों तक पहुंचायी जानी है इसके लिए निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता है। यह तो संस्था की आकृति, स्वभाव तथा व्यवसाय पर निर्भर करेगा। मोटे रूप में प्रबन्धों को निम्न प्रकार की सूचनाओं की आवश्कता होती है: सूचनाओं के प्रकार : महत्वपूर्ण सूचनाएं

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उत्पादकता यह माप है कि कितनी कुशलता से संगठन में संसाधनों को जा रहा हैं एवं निर्धारित परिणामों को पाने के लिए उनका कैसे उपयोग किया जा रहा है। की विचारधारा साधनों (Input) के साथ परिणामों को सम्बन्धित बनाती है जो उन परिणामों को करते हैं। साधनों (Input) से उत्पाद (Output) का अनुपात उत्पादकता होती है। उत्पादकता अंकेक्षण संगठन द्वारा लगाये गये संसाधनों की उत्पादकता का विश्लेषण है। संसाधनों मैं न केवल ‘मुद्रा (Money)’ को शामिल करते हैं बल्कि सामग्री, मशीनें, व्यक्ति, सभी शामिल की जाती है।उत्पादकता अंकेक्षण में निम्नांकित को शामिल करते हैं :- यह ध्यान रखना कि उत्पादकता…

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फिलिप कोटलर द्वारा दी गयी विपणन अंकेक्षण की उपरोक्त परिभाषा से विपणन अंकेक्षण के चार तत्व दृष्टिगोचर होते है: प्रबन्ध अंकेक्षक देखेगा कि विक्रय नीतियों के क्रियान्वयन हेतु सर्वोत्तम वैज्ञानिक रीतियों का प्रयोग किया गया है। इन रीतियों व नीतियों में समय के साथ-साथ परिवर्तन किये गये हैं तथा PERT व EDP जैसे नवीनतम तकनीकों का प्रयोग किया गया है। विपणन अंकेक्षण के संघटक : महत्वपूर्ण विषय हिंदी में पूरा पढ़ें |

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