भारत विश्व व्यापार संगठन के संस्थापक सदस्यों में से है। भारत का 90 प्रतिशत व्यापार उन देशों से होता है जो विश्व व्यापार संगठन के सदस्य है। भारत में इस विषय पर काफी वाद-विवाद रहा है कि भारत को विश्व व्यापार संगठन का सदस्य रहने से या डंकेल ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर करने से लाभ होगा या हानि उठानी पड़ेगी । भारत के विश्व व्यापार संगठन के सदस्य बने रहने के पक्ष तथा विपक्ष में निम्नलिखित तर्क दिये जा सकते हैं: Ad · by Google * 🔥 Management Accounting Book For BBA B.Com & M.Com of Various Universities Buy on Amazon…
Author: admin
विश्व व्यापार संगठन की स्थापना से विश्व समुदाय तथा इसके सदस्य राष्ट्रों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होने की प्रबल सम्भावनाएँ है Ad · by Google * 🔥 Financial Management,12e Paperback – 24 February 2021 Buy on Amazon Ad · by Google * 🔥 Marketing Management, 16e Paperback – 1 April 2022 Buy on Amazon Ad · by Google * 🔥Financial Reporting and Analysis Paperback – 1 January 2020 Buy on Amazon Ad · by Google * 🔥Zero to One Notes on startups, or how to build the future Buy on Amazon Ad · by Google * 🔥 Think And Grow…
विश्व व्यापार संगठन की स्थापना अपने आप में एक चमत्कारी एवं अद्भुत घटना है क्योंकि इससे सम्पूर्ण विश्व को लाभ होगा और विशेषकर विकासशील देशों के निर्यात वृद्धि के मार्ग में जो बाधाएँ हैं, वे कम अथवा समाप्त हो सकेंगी, लेकिन विकासशील राष्ट्रों को विश्व व्यापार संगठन से प्राप्त होने वाले लाभ गैट की भाँति मृग- मरीचिका साबित हो सकते हैं। उनके निर्यार्ता और विकास में वृद्धि के सुन्दर सपने धराशाही हो सकते हैं, इस संगठन पर भी गैट की तरह से विकसित राष्ट्रों का वर्चस्व बना रहेगा। विश्व व्यापार संगठन से सबसे अधिक खतरे विकासशील राष्ट्रों को है इसलिए…
गैट की स्थापना 30 अक्टूबर, 1947 को हुई थी और इसे विश्व व्यापार को बाधारहित बनाकर उसे प्रोत्साहित करने के मूल मकसद से स्थापित किया गया था, किन्तु फिर भी इनमें काफी अन्तर है। इन दोनों के बीच महत्वपूर्ण अन्तर को निम्नांकित बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट किया गया है – सारांश रूप में कहा जाये तो विश्व व्यापार संगठन गैट की तुलना में अधिक विस्तृत एवं व्यापक वैधानिक अधिकार वाला संगठन है जिसके कारण वह अपनी नीतियों एवं समझौतों को सदस्य राष्ट्रों पर थोप सकता है और उल्लंघन करने पर उन्हें दण्डित भी कर सकता है। collagestudy.in Ad ·…
भारतीय कम्पनियों में व्यापारिक आत्मविश्वास बढ़ रहा है। इनमें से कई इतनी ताकतवर हो गयी हैं कि उन्होंने विकसित देशों में कई कम्पनियों का अवापन Acquisition) कर लिया है। यह घटना चक्र इतना प्रबल हो गया कि दिइकॉनामिस्ट ने इसे ‘भारतीय आक्रमण’ कहा। इस सम्बन्ध में कुछ ऐसे विलयनी और अवापनों का जिक्र करना रुचिकर होगा जिन्होंने विश्वव्यापी ध्यान अपनी ओर खींचा है। संविलियन एवं एकीकरण का अर्थ है दो या दो से अधिक इकाइयों का आपसी समझौते से एक नई इकाई में परिवर्तित होना। इसका उद्देश्य कार्यक्षमता बढ़ाना, संसाधनों का बेहतर उपयोग करना और प्रतिस्पर्धा को कम करना होता…
भारतीय उद्योगों में बहुराष्ट्रीय निगमों की हिस्सेदारी का एक मुख्य रूप विदेशी सहयोग है। इस उद्देश्य के लिए भारतीय उद्योगपतियों के साथ सहयोग के समझौते बनाए जाते हैं। जिनमें अक्सर टैक्नोलॉजी के प्रावधान की व्यवस्था होती है। कई बार विदेशी ब्रांड के नाम का इस्तेमाल करने की भी अनुमति दी जाती है। भारतीय कम्पनियों के साथ विदेशी कम्पनियों के सहयोग की मात्रा कितनी अधिक रही है इसका अन्दाज मात्र इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि आजादी के बाद बड़े या मध्यम औद्योगिक यूप में जितने नए उद्योग स्थापित किए गए उनमें से लगभग सभी में किसी न किसी…
हालोंकि भारत में विदेशी निजी क्षेत्र एवं बहुराष्ट्रीय निगर्मी से देश के प्राकृतिक साधर्ना के विदोहन एवं आर्थिक विकास में मदद ही नहीं मिली है, अपितु उच्च एवं आन्तरिक तकनीकी तथा प्रौद्योगिकी लाभ भी मिला है। परन्तु इन निगमों के आरतीय अर्थव्यवस्था पर हानिकारक प्रतिकूल प्रभाव भी पड़े हैं, बहु राष्ट्रीय निगमों की आलोचनाऐ : बहु राष्ट्रीय निगम अक्सर स्थानीय उद्योगों को समाप्त कर देते हैं, जिससे बेरोजगारी बढ़ती है। ये कंपनियाँ अपने लाभ के लिए प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन करती हैं। स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को नजरअंदाज करती हैं। इनका मुख्य उद्देश्य केवल लाभ कमाना होता है, जिससे…
भारत जैसे विकासशील राष्ट्र में बहुराष्ट्रीय निगमों एवं निजी पूँजी निवेशों की देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। जहाँ एक ओर देश के प्राकृतिक साधनों के विदोहन का मार्ग प्रशस्त हुआ है वहाँ दूसरी ओर देश के औद्योगिकरण, विपणन, उन्नत प्रौद्योगिकी एवं उत्पादन तकनीक के साथ-साथ अनुसन्धान कार्यों को बढ़ावा मिला है। \ भारत में विदेशी पूँजी निवेशों में वृद्धि हुई है तथा रोजगार बढ़ा है। प्रबन्धकीय क्षमताओं में वृद्धि हुई है। यह निम्न तथ्यों से उजागर होता है- परिणामस्वरूप इन निर्यातों से विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है Ad · by Google * 🔥 Financial Management,12e…
बहुराष्ट्रीय निगमों के उद्गम के कारण विश्व में उपनिवेशवाद का जन्म एवं विकास हुआ। बहुराष्ट्रीय निगमों के विकास के निम्नलिखित मुख्य चरण हैं:- बहुराष्ट्रीय निगम के विकास के चरण : Ad · by Google * 🔥 Management Accounting Book For BBA B.Com & M.Com of Various Universities Buy on Amazon Ad · by Google * 🔥 Advanced Financial Management For M.Com. and other P.G. Classes Buy on Amazon Ad · by Google * 🔥 SELLING IS NOT CHEATING Sales is Strategy, Skills, Pricing, Marketing, and Ethics Buy on Amazon Ad · by Google * 🔥 Goods and Services Tax (G.S.T)…
बहुराष्ट्रीय निगम को अल्प विकसित देशों में उनके ईर्ष्यालु व्यवहार, जो कि उनकी कार्य प्रणाली में बताया गया है, के कारण शोषण का एजेन्ट माना जाता है। इनके प्रमुख दोष निम्नलिखित है :- Ad · by Google * 🔥 Financial Management,12e Paperback – 24 February 2021 Buy on Amazon Ad · by Google * 🔥 Marketing Management, 16e Paperback – 1 April 2022 Buy on Amazon Ad · by Google * 🔥Financial Reporting and Analysis Paperback – 1 January 2020 Buy on Amazon Ad · by Google * 🔥Zero to One Notes on startups, or how to build the future…