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Home»Banking»वित्त निगम के उद्देश्य
Banking

वित्त निगम के उद्देश्य

adminBy adminJuly 1, 2025No Comments4 Mins Read
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वित्त निगम के उद्देश्य
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वित्त निगम का उद्देश्य उद्योगों, व्यापारों और विकास परियोजनाओं को दीर्घकालिक वित्तीय सहायता प्रदान करना है। ये निगम विशेष रूप से लघु, मध्यम और बड़ी औद्योगिक इकाइयों को ऋण, इक्विटी निवेश और परामर्श सेवाएं देकर आर्थिक विकास और औद्योगिकीकरण को प्रोत्साहित करते हैं।

वित्त और अर्थव्यवस्था

  1. निजी साहस को प्रोत्साहन – यह निगम बिना सरकारी गारंटी के ऋण देता है और अन्य स्रोतों से भी पूंजी दिलाने का प्रयत्न करता है। इस प्रकार यह निजी साहस को प्रोत्साहन प्रदान करता है।
  2. पूंजी तथा प्रबन्ध समन्वय – इसका एक बड़ा उद्देश्य देशी और विदेशी पूंजी में सहयोग स्थापित कर उसे अनुभवी प्रबन्ध से संयोजित करना है। इसका अर्थ यह है कि यह कुशल प्रवन्ध के लिए पूंजी की व्यवस्था करता है और किसी के पास पर्याप्त पूंजी हो तो उसके लिए कुशल प्रबन्ध की व्यवस्था करता है।
  3. विदेशी पूंजी को प्रोत्साहन – निगम का एक प्रशंसनीय उद्देश्य अतिरिक्त पूंजी वाले देशों को अभाव वाले देशों में पूंजी लगाने को प्रोत्साहित करना है।
    • वित्त निगम की सदस्यता – वित्त निगम का अस्तित्व विश्व बैंक से स्वतंत्र होने पर भी विश्व बैंक के संरक्षण में कार्य करता है। यह विश्व बैंक की एक पूरक एवं सम्बद्ध संस्था है, अतः विश्व बैंक के सदस्य ही वित्त निगम के सदस्य बन सकते हैं। इस प्रकार वित्त निगम का सदस्य बनने के लिए पहले विश्व बैंक का सदस्य बनना अनिवार्य होता है। निगम से कोई भी सदस्य देश किसी भी समय सदस्यता से अलग हो सकता है। यदि वह सदस्यता के दायित्वों को पूरा नहीं करता तो निगम उसकी सदस्यता समाप्त कर सकता है। यदि कोई राष्ट्र विश्व बैंक की सदस्यता छोड़ना चाहे या विश्व बैंक उसकी सदस्यता को समाप्त कर दे तो निगम में उसकी सदस्यता स्वतः ही समाप्त मानी जायेगी । 30 जून 1986 को निगम के सदस्यों की संख्या 128 थी। प्रत्येक सदस्य देश को 250 प्रति अंश एक मत देने का अधिकार प्राप्त है। निगम के सभी निर्णय बहुमत से किये जाते हैं। मार्च 2005 में वित्त निगम की सदस्य संख्या 177 थी ।
    • वित्त निगम की पूंजी – 1956 में स्थापना के समय निगम की अधिकृत पूंजी 700 मिलियन डालर थी जो 100 डालर मूल्य के एक लाख शेयरों में विभाजित थी। 30 जून 1987 को यह पूंजी बढ़कर 1006 मिलियन डालर तथा 1988 में बढ़कर व 300 मिलियन डालर हो गई । 1 जून 1988 में निगम की प्रदत पूंजी 850 मिलियन डालर थी। अधिकृत पूंजी में लगातार वृद्धि होने से अब निगम एक सुदृढ़ संस्था बन गई है तथा अब यह सदस्य देशों की अधिक सहायता कर सकता है। जून 2005 तक निगम की अधिकृत पूंजी 7782 मिलियन डालर होने का अनुमान है।
    • वित्त निगम का प्रबन्ध – अन्तर्राष्ट्रीय वित्त निगम की प्रबन्ध व्यवस्था भी विश्व बैंक के समान ही है। विश्व बैंक का प्रशासन मंडल ही अन्तर्राष्ट्रीय वित्त निगम के प्रशासन मंडल के रूप में कार्य करता । विश्व बैंक का कार्यकारी संचालक मंडल ही निगम के कार्यकारी संचालक मंडल का कार्य करता है। बैंक का अध्यक्ष निगम का पदेन अध्यक्ष होता है। परन्तु निगम के दिन प्रतिदिन के कार्यों के हेतु एक अलग अध्यक्ष कार्यकारी संचालक मंडल द्वारा नियुक्त किया जाता है। निगम की प्रबन्ध व्यवस्था बैंक से मिली-जुली होने पर भी निगम के पूंजी कोष तथा लेखे आदि अलग-अलग है।

निगम का प्रधान कार्यालय विश्व बैंक के साथ ही होना आवश्यक है, जो वाशिंगटन में स्थित है। निगम सदस्य देशों में भी अन्य कार्यालय स्थापित कर सकता है। इस समय इसके, कार्यालय लंदन, पेरिस तथा न्यूयॉर्क में हैं।

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