अन्तर्राष्ट्रीय कारटेल की विद्यमानता सम्बन्धित उत्पाद की मुक्त व्यापार व्यवस्था में बाधा उपस्थित करते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय कारटेल विभिन्न देशों में स्थापित उत्पादकों अथवा विभिन्न देशों की सरकारों के मध्य मूल्यों को नियन्त्रण में रखने की मंशा से किये गये समझौते होते हैं। सामान्यतः कारटेल का प्रमुख उद्देश्य मूल्यों को नियन्त्रण में रखना होता है। प्रायः मूल्यों में स्थिरता बनाये रखने इसका सम्बन्ध उत्पादन तथा विनियोग से जोड़ दिया जाता है।
राष्ट्रीय कारटेल सामान्यतः सम्बन्धित सरकार द्वारा निषेध अथवा नियन्त्रित होते हैं, जबकि अन्तर्राष्ट्रीय कारटेल प्रायः सम्बन्धित राष्ट्र की सरकार द्वारा प्रायोजित अथवा स्वीकृत किये जाते हैं। तेल उत्पादन तथा निर्यातक देशों का समूह अन्तर्राष्ट्रीय कारटेल का महत्वपूर्ण उदाहरण है।
“कार्टल एक व्यापारी समझौता है जो कि बाजार मूल्य, व्यापार शर्तों एवं अन्य दशाओं में प्रतियोगिता को प्रतिबन्धित करने के लिए किया जाता है” ये समझौते स्पष्ट एवं कानूनी न होकर अस्पष्ट एवं स्वभावतया होते हैं। जब उत्पादक एक दूसरे के लाभअर्जित के सामान्य प्रयोजन को भली भांति समझ जाते हैं तो वे पारस्परिक प्रतियोगिता को समाप्त करने हेतु कार्टल का निर्माण कर लेते हैं। यद्यपि कार्टेल के अंतर्गत उनकी पृथक विशेषतायें बनी रहती है परन्तु कुछ विषयों पर जैसे उन्हें ग्राहकों को किस मूल्य पर वस्तुत को बेचना है, कितना उत्पादन अथवा विक्रय करना है तथा किन बाजारों पर उनमें से प्रत्येक का अलग-अलग अधिकार रहेगा, सामूहिक निर्णय लिया जाता है। प्रथम विश्व युद्ध से अंतर्राष्ट्रीय कार्टेल की स्थापना में अधिक रुचि उत्पन्न हुई है। अन्तर्राष्ट्रीय कार्टल के समर्थकों का मत है कि विभिन्न देशों के उत्पादों के मध्य कार्टेल समझौतों से प्रशुल्क प्रतिबन्धों को कम किया जा सकता है अथवा हटाया जा सकता है जिससे समस्त विश्व का कल्याण अधिकतम होगा। परन्तु कार्टेल के विरोधी सदैव ही उपभोक्ताओं के एकाधिकारिक शोषण से आतंकित रहे हैं।अन्तर्राष्ट्रीय कार्टल के लाभ:
- अल्पाधिकार या कम विक्रेताओं में गलाकाट प्रतियोगिता एक सामान्य लक्षण है। वे एक दूसरे के बाजार में अनाधिकार प्रवेश करने हेतु मूल्य युद्ध में स्वेच्छा से सम्मिलित होते हैं। परिणामस्वरूप वस्तुओं के मूल्यों में अत्यधिक उच्चावचन होने लगते हैं । घृणित कीमत युद्ध का अन्त प्रतिद्वंदी उत्पादकों के मध्य किसी समझौते के माध्यम से ही होता है। समझौते कार्टेल के निर्माण के रूप में प्रकट होते हैं। इस प्रकार कार्टेल में केवल मूल्य में ही स्थायित्व नहीं आता है वरन् विज्ञापन तथा प्रचार पर होने वाले अपव्यय की भी बचत होती है।
- कुछ विचारकों के मतानुसार अन्तर्राष्ट्रीय कार्टेल में सम्मिलित विभिन्न देशों के उत्पादकों के मध्य समझौतों से प्रशुल्क की दीवारों को समाप्त किया जा सकता है।
- अन्तर्राष्ट्रीय कार्टेल से उत्पादक दुर्लभ तकनीकी जान का लाभ उठाते हैं जिससे कम लागत पर कुल उत्पादन में वृद्धि करने हेतु सहायता मिलती है। अतः अन्तर्राष्ट्रीय कार्टेल को आर्थिक विकास का इंजिन कहा जा सकता है।
- चूंकि अन्तर्राष्ट्रीय कार्टेल का निर्माण अन्तर्राष्ट्रीय समझौते तथा सहयोग के आधार पर होता है इसलिये उनसे गंभीर आर्थिक संकट को कम करने की आशा की जाती है।
यद्यपि कारटेल का प्रमुख उद्देश्य मूल्य वृद्धि तथा प्रतिस्पर्धा को नियन्त्रित करना होता है किन्तु इसके ऐसे ही अन्य उद्देश्य भी हो सकते है।