‘नाफ्टा‘ अर्थात् नार्थ अमेरिकन फ्री ट्रेड एग्रीमेन्ट (NAFTA: North American Free Trade Agreement) – अथवा उत्तर अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौता संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और मैक्सिको का संगठन है, जो 17 नवम्बर, 1993 को अमेरिकी संसद द्वारा अनुमोदन के बाद 1 जनवरी 1994 से पूर्ण अस्तित्व में आ गया।
यूरोपीय समुदाय की तरह ही यह व्यापार समूह भी अपने सदस्य देशों के बीच शुल्क निर्धारण करेगा तथा उनके अन्य व्यवसायिक हितों की देख-रेख करेगा। नाफ्टा के पूरे क्षेत्र की जनसंख्या 37 करोड़ है तथा इसका सकल घरेलु उत्पाद 6 खरब से 8 अरब डॉलर के बराबर है। इसकी जनसंख्या अटलांटिक क्षेत्र के यूरोपीय संघ के देर्शों की जनसंख्या से 2 करोड़ अधिक है। इस प्रकार यह आबादी की दृष्टि से यूरोपीय समुदाय से भी बड़ा है तथा अब विश्व का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र बन गया है।
- कहने को तो यह तीन देशों का एक व्यापारिक गुट है और इससे सभी सदस्य देर्शों को लाभ होगा, लेकिन सर्वाधिक फायदे में अमेरिका ही रहने वाला है। अमेरिका को मैक्सिकों जैसे देश में काफी रियायत मिलने से व्यापक सम्भावनाओं वाला नया बाजार प्राप्त हुआ है। जिससे अमेरिका के निर्यात में वृद्धि होगी, रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे तथा अर्थव्यवस्था में नये रक्त संचार के साथ ही कॉरपोरेट क्षेत्र सर्वाधिक लाभ की स्थिति में रहेगा। जहां तक मैक्सिकों का सवाल है तो वह भी भारत की तरह एक विकाशसील देश है जहां काफी सस्ता श्रम उपलब्ध है। फलतः मैक्सिकों में अमेरिकी पूंजी का प्रवाह बढ़ेगा, जिससे वहां भी रोजगार के नये अवसरों का सृजन होगा । हालांकि कनष्टा में नाफ्टा को लेकर विरोध के स्वर मुखरित हुए थे, लेकिन इसमें दो मत नहीं कि कनाडा का आर्थिक भविष्य नाफ्टा के साथ जुड़ा हुआ है। वैसे भी अमेरिका के साथ कनाडा का एक समझौता पहले से ही है, फलतः दोनों ही देशों को व्यापार में कोई विशेष परेशानी नहीं होगी ।
- एक ओर जहां यह स्पष्ट है कि नाफ्टा से तीन ही सदस्य देशों को लाभ होगा, वहीं दूसरी ओर लेटिन अमेरिका के अन्य देशों, दक्षिण-पूर्व एशिया के नव विकसीत देशों, यूरोपीय समुदाय और भारत जैसे विकासशील देशों को थोड़ी बहुत परेशानी हो सकती है। नाफ्टा दो विकसित देशों और एक विकासशील देश का समूह है, जो वास्तव में अमेरिकी प्रौद्यौगिकी और मैक्सिकों के सस्ते श्रम का मिश्रण है। जिसका उद्देश्य अन्य विकासशील देशों से उत्तर अमेरिका में आयात की मांग को कम करना हो सकता है।
नाफ्टा विशेषतः कपड़ा क्षेत्र पर आधारित है। उधर भारत एक ऐसा देश है जहां कपड़ा क्षेत्र के निर्यात में तेजी से वृद्धि हो रही है, और कुल निर्यात में इसका हिस्सा लगभग एक चौथाई है। इसीलिये नापटा के प्रतिरूप कदम उठाने के लिए यह सुझाव दिया है, जिससे कनाडा और अमेरिका के साथ-साथ पुनर्खरीद और तीसरे देश को निर्यात करने की सुविधा दी जाये। इसके अतिरिक्त उत्तर अमेरिकी बाजार के लिए भारतीय निर्यातकों को सरकार की ओर से विशेष सहायता भी दी जानी चाहिए ।
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