बहुराष्ट्रीय निगमों के उद्गम के कारण विश्व में उपनिवेशवाद का जन्म एवं विकास हुआ। बहुराष्ट्रीय निगमों के विकास के निम्नलिखित मुख्य चरण हैं:-
- बहु राष्ट्रीय निगमों के बड़े-बड़े अनुसंधान एवं विकास विभाग है जो नये उत्पादौ का विकास करने में और विद्यमान उत्पादों की किस्म तथा डिजाईन सुधार में प्रयत्नशील रहते हैं। इसलिए राष्ट्रीय कम्पनियों की तुलना में अन्तर्राष्ट्रीय निगमों की उत्पादन सम्भावनाएँ कहीं ज्यादा व्यापक और प्रभावशाली है ।
- बहु राष्ट्रीय फर्म को राष्ट्रीय फर्म की तुलना में वित्तीय श्रेष्ठता होने के कारण भी इनका विकास एवं विस्तार हुआ है। ये कारण इस प्रकार हैं इसके पास अत्यधिक वित्तीय साधन होते हैं जिनकी सहायता से वे सब परिस्थितियों को अपने अनुकूल बना सकती है, कोर्षों के उपयोग में वह अधिक दक्ष होती है, एक देश में जनित साधर्ना का प्रयोग आवश्यकता पड़ने पर अन्य देशों में कर सकती है, वह विदेशी बाजारों से ज्यादा आसानी से साधन जुटा सकती है और अपनी अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के कारण वह अधिक आसानी से अन्तर्राष्ट्रीय साधन एकत्रित कर सकती है। यहाँ तक कि अन्य देशों के निवेशक और बैंक भी इनमें निवेश करने को इच्छुक रहते हैं।
- अल्पविकसित देशों में बहुराष्ट्रीय निगमों को अपने औद्योगिक विकास में सहयोग देने के लिए मूलतः इसलिए आमन्त्रित किया है क्योंकि राष्ट्रीय कम्पनियों की तुलना में इनके पास बेहतर प्रौद्योगिकी है। बहुराष्ट्रीय निगमों से टेत्नालॉजी का हस्तान्तरण अल्पविकसित देश निम्नलिखित कारणों से उपयोगी मानते है:
- अल्पविकसित देश से निकलने के लिए सबसे महत्वपूर्ण रास्ता औद्योगिकरण का है परन्तु इन देशों के पास इतने साधन नहीं है कि वे अपने बूते पर औद्योगिक विकास कर सकें ।
- स्थानीय मानव शक्ति पूँजी उपकरणों और अन्य साधनों का अनुकूलतम उपभोग आवश्यक है परन्तु अल्पविकसित देशों के पास इतनी सामर्थ्य नहीं है कि वे अपने आप यह काम कर सके।
- औद्योगिक विकास की सम्पूर्ण जिम्मेदारी स्थानीय कम्पनियों पर डालने से कच्चे माल, पूँजी, उपकरण, मशीनरी एवं तकनीकी जान के भारी आयात की आवश्यकता पड़ती है। परन्तु निगम स्वयं इनकी व्यवस्था करते हैं।
- अल्पविकसित देशों को अपना माल बेचने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में कड़ी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है। जब तक वे अच्छी किस्म की अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की वस्तुओं का उत्पादन नहीं करते, तब तक उनका माल बिक नही सकेगा किन्तु अन्तर्राष्ट्रीय निगम इस तरह का माल बनाने में उनकी सहायता करते हैं और उनका माल भी बिक जाता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि बहुराष्ट्रीय निगमर्मा के विकास के अनेक कारण रहे हैं। फलस्वरूप ये निगम कार्य करते हुए अनेक देशों में देखे जा सकते हैं और इनके देशों में भी अनेक व्यापारी कार्य करते हुए देखे जा सकते हैं।
- जैसे-जैसे किसी बहुत बड़ी फर्म का आकार बढ़ जाता है उसकी ख्याति देश-विदेश में फैलने लगती है, वैसे-वैसे फर्म अपने देश की भौगोलिक सीमाओं से बाहर अन्य देशी में अपनी गतिविधियों के प्रसार की कोशिश करती है। इस प्रकार बहु राष्ट्रीय निगमों का विकास होता है। राष्ट्रीय फर्मों की तुलना में बहुराष्ट्रीय फर्मों को विपणन के क्षेत्र में श्रेष्ठता प्राप्त है, जैसे-
- बहुराष्ट्रीय निगमों को बाजार की परिस्थितियों के बारे में अतिशीघ्र सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध होती है।
- बहुराष्ट्रीय निगमों की ख्याति के कारण उन्हें अपना माल बेचने में कम कठिनाई होती है।
- वे अपनी वस्तुओं की बिक्री के लिए बेहतर एवं अधिक विज्ञापन तथा प्रचार की व्यवस्था करने की स्थिति में होती है।
- उनके पास भण्डारण की भी बेहतर सुविधाएँ होती हैं।
बहुराष्ट्रीय निगम के विकास के चरण :