एक अच्छी निर्णय प्रक्रिया के कुछ आवश्यक तत्व होते हैं। निर्णयन की समीक्षा करते समय प्रबन्ध अंकेक्षक देखेगा कि निर्णयन में निम्नलिखित तत्व विद्यमान है या नहीं।
- बुद्धि (Intellingence): प्रत्येक निर्णय बुद्धिमानी से लिया जाना चाहिए अच्छे निर्णयन के लिए सही सूचनाओं का होना आवश्यक है, परन्तु कई बार सूचनाएं संग्रहित करने के लिए बहुत अधिक समय व मुद्रा की आवश्यकता होती है। ऐसे में निर्णय लेने वालों को अपनी बुद्धि, ज्ञान, योग्यता व अनुभव का यथोचित प्रयोग करना चाहिए। प्रबन्ध अंकेक्षक देखेगा कि निर्णय विवेक पर आधारित है तथा वैज्ञानिक पद्धति से लिये गए है। निर्णय मात्र अनुमानों पर ही आधारित नहीं होने चाहिए।
- क्रियान्वयन की संभावना (Possibility of Implementation) : प्रबन्ध अंकेक्षक को यह देखना चाहिए कि जो भी निर्णय लिया जाये उसका क्रियान्वयन संभव होगा। प्रबन्ध अंकेक्षक देखेगा कि निर्णय के क्रियान्वयन हेतु आवश्यक पूंजी, श्रमिक, सामग्री व उचित वातावरण उपलब्ध है। क्रियान्वयन के लिए तकनीकी वातावरण भी उपलब्ध है। क्रियान्वयन के लिये तकनीकी जानकारी भी उपलब्ध होनी चाहिए तथा सरकार व श्रमिकों द्वारा भी क्रियान्वयन में बाधा की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। निर्णय ऐसा भी नही होना चाहिए जिसके दूरगामी परिणाम अच्छे न हो।
- लागत (Cost) : लागत भी निर्णयन का एक आवश्यक मापदण्ड है। प्रथम तो निर्णय लेने में ही अधिक लागत नहीं होनी चाहिए, उदाहरणार्थ निर्णयन हेतु सूचना आदि संग्रहित करने में कम से कम व्यय होना चाहिए। दूसरे निर्णय ऐसा होना चाहिए, जिसके क्रियान्वयन पर होने वाली लागत उससे प्राप्त लाभों की तुलना में कम हो। इसके लिए प्रबन्ध अंकेक्षक को निर्णयन के भावी प्रभावों का अध्ययन कर लागत की तुलना दीर्घ परिप्रेक्ष्य में करना चाहिए।
- तकनीकी संभाव्यता (Technical Feasibility) : निर्णयका आधारभूत तत्व यह हैकि निर्णय तकनीकी दृष्टि से क्रियान्वयन योग्य हो। यहां तकनीकी दृष्टि का तात्पर्य मशीनरी, एवं संयंत्र के दृष्टिकोण से नहीं है, वरन निम्न तथ्यों से है।
- निर्णय ऐसे होना चाहिए जिनका क्रियान्वयन करने हेतु कर्मचारी या सम्बन्धित व्यक्ति तत्पर हो,
- कुछ निर्णय ऐसे होते हैं जिनका क्रियान्वयन वैही ती संभव है परन्तु क्रियान्वयन से किसी ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों के रुष्ट होने का भय रहता है जी संस्था के लिए घातक सिद्ध हो सकते है,
- कुछ निर्णय ऐसे होते हैं जिनका अप्रत्यक्ष प्रभाव विपरीत होने की वजह से वे क्रियान्वित करने योग्य नहीं रहते,
- कुछ निर्णय वैज्ञानिक प्रतिबन्धों के कारण क्रियान्वित नहीं किये जा सकते।
- कार्यक्रम बनाना (Programming): एक अच्छा निर्णय यही होता है जिसे लेते समय ही उसके क्रियान्वयन हेतु समयबद्ध विस्तृत कार्यक्रम तैयार किया गया है। कार्यक्रम में इस बात का निर्धारण किया जाता है कि निर्णय का क्रियान्वयन कब प्रारम्भ होकर कब समाप्त होगा, किस स्तर पर कौन व्यक्ति क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार होगा आदि। समयबद्ध कार्यक्रम होने से निर्णयन का क्रियान्वयन समय पर हो जाता है क्योंकि इससे टालमटोली की भावना नहीं होती है। अतः प्रबन्ध अंकेक्षक यह देखेगा कि निर्णय लेने के साथ ही कार्यक्रम भी तय कर लिया गया है।
- जोखिम (Risk) : व्यवसाय में लाभ अर्जित करने हेतु कुछ जोखिम वहन करना अति आवश्यक है। अतः निर्णय महत्वपूर्ण व जोखिम भरा भी हो तो कोई हर्ज नहीं। परन्तु जोखिम की मात्रा इतनी ही होनी चाहिए कि विपरीत स्थिति होने पर भी संस्था उस जोखिम को वहन कर सके। ऐसी स्थिति में संस्था दिवालिया होने से बच सकेगी। अतः निर्णय अत्यधिक महत्वाकांक्षी भी नहीं होने चाहिए।
- संगठन (Organisation) : जो भी निर्णय लिया जाए संगठन संरचना के अनुरूप होना चाहिए। निर्णय ऐसा होना चाहिए जिसके क्रियान्वयन के लिए संगठन में :
- आवश्यक कार्य मात्रा में कर्मचारी विद्यमान है,
- उनमें कार्य का उचित विभाजन किया गया है,
- कर्मचारियों को पर्याप्त अधिकार दिये गये हैं,
- संगठन में प्रभावशाली सूचना प्रणाली है,
- कर्मचारी अपने कर्तव्यों को समझते हैं।
- कर्मचारियों पर कार्य का संतुलित भार डाला गया है,
- निर्णय के क्रियान्वयन में संगठन संरचना की जटिलताएं बाधा नहीं डालेगी;
- संगठन संरचना लचीली हो ताकि इसके निर्णय के अनुसार विस्तार या किया जा सके।
सर्वोत्म विकल्प का चयन (Selection of the Best Alternative) : निर्णय कोक्रियान्वीत करने के लिए विभिन्न विकल्पों में से वैज्ञानिक आधार पर सर्वश्रेष्ठ विकल्प का किया जाना चाहिए। विकल्प के चयन में किसी प्रकार के पक्षपात से ग्रसित नहीं होना चाहिए व दबाव के आगे झुकना भी नहीं चाहिए। ऐसा निर्णय ही श्रेष्ठ निर्णय होता है।