अन्तर्राष्ट्रीय व्यवसाय में संरक्षण बाद की प्रवृति का आर्थिक विकास एवं सवृद्धि पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है। विश्व के राष्ट्र की व्यापारिक उदारीकरण की मंशा ने व्यापार तथा प्रशुल्क में सामान्य समझौते गैट (GATT) की स्थापना को सम्भव बनाया। गैट एक बहुपक्षीय संधि है जो विश्व व्यापार के 80% क्षेत्र में हस्तक्षेप करती है।
गैट के नियमों में व्यापार सम्बन्धी विवादों को निपटाना, परामर्श देना व्यापार दायित्वों का त्याग करना और प्रतिशोधात्मक उपायों को अपनाने की भी व्यवस्था है। गैट एक स्थायी अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है जिसका मुख्य कार्य अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार कर उदारीकरण । व्यापार को बिना किसी भेदभाव, आदान-प्रदान और निष्कपट होकर संचालित करना और टैरिफ और गैर-टैरिफ उपायों का उदार बनाना। उदार विश्व व्यापार व्यवस्था स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय व्यावसायिक पर्यावरण को व्यापार के अनुकूल बनाना जिससे विश्व के संसाधनों का पूर्णतया विकास तथा विश्व स्तर पर उत्पादन और वस्तुओं के विनिमय को बढ़ावा मिल सके।
- गैट के प्रावधान –
- परम मित्र राष्ट्र धारा
- टैरिफ रियायती की सारणियों
- मात्रात्मक प्रतिबन्धों का सामान्य उन्मूलन
- आयात सुरक्षा संहिता
- अपवाद
- सब्सिडियों और प्रतिकारी शुल्कों के नियम
- झगड़ो का निबटारा
गैट वार्ताओं के आठवे दौर की बहुपक्षीय व्यापार वार्ताओं के परिणामों को सम्मिलित कर के डंकल प्रारूप की प्रकाशित किया गया। डंकल प्रारुप के 46 0 पृष्ठों को “इसे स्वीकारी -अथवा इसे छोड़ो’ ‘दस्तावेज भी कहा जाता है जो विभिन्न क्षेत्रों में गतिरोधों को समाप्त करने के लिए है।
- अन्तर्राष्ट्रीय व्यवसाय पर प्रभावअन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को ये सभी कारक अनेक प्रकार से प्रभावित करते हैं।
- विदेशी व्यापार को प्रोत्साहन देना।
- राष्ट्र के मध्य घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित करना।
- व्यापार से सम्बन्धित अनेक समझौते करना।
- व्यापार की चुनौतियों का समुचित रूप से सामना।
- अन्तर्राष्ट्रीय संसाधनों का उचित विदोहन।
- संचार साधनों का विकास जिसके परिणाम स्वरुप व्यावसायिक विकास को गतिमिलती है।
- विश्व का बाजारों का एकजुट होना तथा वैश्वीकरण एवं उदारीकरणकोबढ़ावादेना।
अन्तर्राष्ट्रीय व्यवसायिक पर्यावरण वर्तमान में उदारीकरण की नीतियों से काफी सहज हुआ है लेकिन वर्तमान में अनेक चुनौतियों का सामना कर रहा है। हमें अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की विकसित करने के लिए ऐसे पर्यावरण को विकसित करना चाहिए जहाँ भेदभाव व प्रतिबन्ध कम से कम हो एवं सौहार्द पूर्ण वातावरण का उद्गम हो। विश्व में आधिक दृष्टि अराणी राष्ट्रों को अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को हल कर एवं सभी राष्ट्रों के लिए हितकारी ऐसे अन्तर्राष्ट्रीय व्यावसायिक पर्यावरण की संरचना करने में ठोस कदम उठाने चाहिए।