फिलिप कोटलर द्वारा विपणन अंकेक्षण की निम्न विधियाँ बतलाई गई हैं
विपणन अंकेक्षण की विधियाँ (Marketing Audit) : एक व्यापक, व्यवस्थित, स्वतंत्र और आवधिक जांच होती है, जिसका उद्देश्य विपणन गतिविधियों, रणनीतियों, प्रक्रियाओं और परिणामों का मूल्यांकन करना होता है। इसका उद्देश्य यह जानना होता है कि संगठन की विपणन रणनीति कितनी प्रभावशाली है और उसमें सुधार की आवश्यकता कहाँ है। इसके लिए विभिन्न विधियाँ अपनाई जाती हैं। यह एक महत्वपूर्ण तकनीक है जिसमें कंपनी की Strengths (ताकत), Weaknesses (कमज़ोरियाँ), Opportunities (अवसर) और Threats (खतरे) का विश्लेषण किया जाता है। इससे विपणन रणनीति के अनुकूलन में सहायता मिलती है।
- स्वयं अंकेक्षण (Self-Audit) :- जैसा कि नाम से स्पष्ट है इस प्रकार के अंकेक्षण में अंकेक्षण कार्य उसी व्यक्ति द्वारा किया जाता है जिसने कि वह कार्य किया है अथवा जो उस कार्य के लिए उत्तरदायी है।
- पडोसी अंकेक्षण (Audit from Across):- इस प्रकार के अंकेक्षण के अधीन एकक्रिया का अंकेक्षण उसी क्रिया के समानान्तर किसी अन्य क्रिया के अधिकारी द्वारा किया जाता है। अर्थात् एक अधिकारी के कार्यों का अंकेक्षण समानान्तर क्रिया के दूसरे अधिकारी द्वारा किया जाता है।
- ऊपर से अंकेक्षण (Audit from Above):- इस अंकेक्षण के अधीन किसी विपणनक्रिया का अंकेक्षण उसी व्यक्ति या उच्च अधिकारी द्वारा किया जाता है जिस व्यक्ति को उस क्रिया विशेष के सम्बन्ध में रिपोर्ट दी गई है।
- कम्पनी अंकेक्षण कार्यालय (Company Audit Office):- इस व्यवस्था के अधीन कम्पनी पृथक् से अपना अंकेक्षण कार्यालय खोलती है तथा इस कार्य के लिए विशेषज्ञता प्राप्त अंकेक्षकों की नियुक्ति करती है। ये अंकेक्षक ही विपणन सहित सभी क्रियाओं का अंकेक्षण करते हैं एवं आवश्यक सुझाव देते हैं।
- कम्पनी अंकेक्षण बेड़ा (company Task-Audit) :- इस कार्य के अन्तर्गत कम्पनी विभिन्न प्रकार की क्रियाओं पर नियन्त्रण रखने तथा इन क्रियाओं का अंकेक्षण करने हेतु विशेष अधिकारियों की नियुक्ति करती है जिन्हें अंकेक्षण कार्य का पूर्व अनुभव होता है अतः वे अधिकारी विपणन का भी भली-भाँति अंकेक्षण करने में सक्षम होते हैं।
- बाह्य अंकेक्षण (External Audit): – कम्पनी किसी बाहरी व्यक्ति का विपणन विपक्षण कार्य सौंप सकती है अथवा कानून द्वारा बाध्य होने पर भी कम्पनी को बाह्य विधि से अंकेक्षण करवाना आवश्यक हो सकता
उपरोक्त सभी अंकेक्षण विधियों के अपने-अपने लाभ-दोष हैं परन्तु इनमें से बाह्य अंकेक्षण विधि सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि इस विधि के अन्तर्गत ही निष्पक्षता रह पाती है तथा बाहय अंकेक्षक अनुभवी भी होते हैं, तथा वे अंकेक्षण कार्य को अधिक समय भी दे सकते हैं।