उत्पादकता यह माप है कि कितनी कुशलता से संगठन में संसाधनों को जा रहा हैं एवं निर्धारित परिणामों को पाने के लिए उनका कैसे उपयोग किया जा रहा है। की विचारधारा साधनों (Input) के साथ परिणामों को सम्बन्धित बनाती है जो उन परिणामों को करते हैं। साधनों (Input) से उत्पाद (Output) का अनुपात उत्पादकता होती है।
उत्पादकता अंकेक्षण संगठन द्वारा लगाये गये संसाधनों की उत्पादकता का विश्लेषण है। संसाधनों मैं न केवल ‘मुद्रा (Money)’ को शामिल करते हैं बल्कि सामग्री, मशीनें, व्यक्ति, सभी शामिल की जाती है।उत्पादकता अंकेक्षण में निम्नांकित को शामिल करते हैं :-
- संसाधनों का वास्तविक तथा प्रत्याशित उपयोग।
- संसाधनों का वास्तविक तथा अनुकूलतम उपयोग।
- उपयोर्गों के मानदण्डों (Bench Marks) को सुधारने के लिए किये गये प्रयास।
- उत्पादकता विश्लेषण (Analysis of Productivity) निम्नलिखित प्रविधियों द्वारा किया जा सकता है:-
- अनुपात विश्लेषण (Ratio Analysis)
- लगाई गई पूँजी पर प्रत्याय
- विक्रय पर प्रत्याय
- स्थायी सम्पत्तिर्यो, चालू सम्पत्तियों, स्टॉक, देनदारों आदि से आवर्त अनुपात
- समय एवं लागत के रूप में श्रम घण्टों की उत्पादकता विश्लेषण (Productivity analysis of Labour hour in time and cost)
- उपलब्ध क्षमता के विरुद्ध संयंत्र, मशीन एवं उपकरणों की क्षमता उपयोग (Capacity utilization of plant, machinery and equipment against available capacity)
- मानदण्डों तथा तौर तरीकों के विपरीत सामग्री उपभोग (Material consumption against norms and bench marks)
यह ध्यान रखना कि उत्पादकता की विचारधारा उत्पादन कार्य के आस-पास घूमती है परन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि उत्पादन का अंकेक्षण ही उत्पादकता अंकेक्षण है।
उत्पादकता मापने में प्रत्येक साधन की कार्यक्षमता के प्रति प्रत्येक घटक का अंशदान सम्मिलित होता है। उत्पादकता अंकेक्षण में सामग्री उत्पादकता अंकेक्षण, श्रम उत्पादकता अंकेक्षण तथा पूँजी उत्पादकता अंकेक्षण तीनों को सम्मिलित करते है।
ऊर्जा उपयोग तथा संरक्षण की वर्तमान परिवर्तनशील परिवेश में उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका है। ऊर्जा अंकेक्षण से आशय यह है कि किसी संयंत्र में विभिन्न उपकरणों तथा प्रक्रियाओं में ऊर्जा की कार्यक्षमता का गहन अवलोकन तथा उत्पादन को प्रभावित किये बिना ऊर्जा उपभोग की कुल राशि को कम करने हेतु दृष्टि रखना।राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद द्वारा ऊर्जा अंकेक्षण हेतु निम्नलिखित बिन्दुओं पर और दिया गया है –
- ऊर्जा के विभिन्न स्वरूपों की गुणवत्ता तथा लागत को चिन्हित करना।
- विभिन्न स्तरों पर ऊर्जा उपभोग को चिन्हित करना।
- ऊर्जा साधन तथा उत्पादन को सम्बन्धित करके क्षों को प्रकाश में लाना।उपर्युक्त बिन्दुओं पर सफलता हेतु ऊर्जा अंकेक्षण में निम्नलिखित कदम उठाये जाने चाहिए –
- ऊर्जा उपभोग के सम्बन्ध में सही समंकों का संकलन
- विभिन्न बिन्दुओं पर ऊर्जा उपभोग का अवलोकन
- प्रक्रियाओं की व्यापक तकनीकी समीक्षा
- ऊर्जा बचत के लिए विभिन्न विकल्पों का मूल्यांकनऊर्जा उपभोग को कम करने हेतु सिफारिशें। ऊर्जा अंकेक्षण में निम्नलिखित विधियों का प्रयोग होता है:
- ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र एवं सम्भावित क्षेत्रों की पहचान के लिए ऊर्जा उपयोग व संरक्षण का सर्वेक्षण।
- ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों के उपयोग में तकनीकी, आर्थिक उपादेयता की गणना।
2 Comments
Pingback: सूचनाओं के प्रकार - COLLAGE STUDY
Pingback: प्रबन्ध सूचना प्रणाली की विशेषताएँ - COLLAGE STUDY