लागत लेखा एवं वित्तीय लेखा एक ही पेड़ की दो शाखाएँ हैं, परन्तु वित्तीय का प्रादुर्भाव लागत लेखे से पूर्व हुआ है। दोनों के प्रादुर्भाव के कारण अलग-अलग रहे हैं। यही स्थिति लागत अंकेक्षण व वित्तीय अंकेक्षण की है। दोनों अंकेक्षणों में प्रमुख अन्तर इस प्रकार है
- वित्तीय अंकेक्षण का प्रमुख उद्देश्य वित्तीय लेखों का सत्यापन है जबकि लागत अंकेक्षण का प्रमुख उद्देश्य लागत लेखों की सत्यता की जाँच है।
- वित्तीय अंकेक्षण उन सभी संस्थाओं में किया जा सकता है जहाँ वित्तीय लेखे जाते हैं यथा व्यापारिक संस्था, धर्मार्थ संस्था, क्लब आदि। जबकि लागत अंकेक्षण ऐसी संस्थाओं में ही किया जाता है जहाँ लागत लेखे रखे जाते है। जैसे निर्माणी, उत्पादन या प्राविधि तथा सेवा में लगी संस्थाएँ।
- वित्तीय अंकेक्षण वित्तीय लेखों, प्रमाणकों एवं लेखांकन विवरण के आधार पर जाता है जबकि लागत अंकेक्षण लागत लेखों व विवरणों के आधार पर किया जाता है।
- वित्तीय अंकेक्षण प्रमाणित करता है कि लाभ-हानि खाता संस्था के सही अथवा हानि को तथा चिट्ठा संस्था की सही आर्थिक स्थिति को प्रकट करता है जबकि लागत अंकेक्षण यह प्रमाणित करता है कि उत्पादन की कुल लागत व प्रति इकाई लागत उचित ज्ञात की गई।
- वित्तीय अंकेक्षण में नियमनता व ईमानकारी की जाँच होती है जबकि लागत क्षण में कार्यकुशलता व औचित्य की जाँच होती है।
- वित्तीय अंकेक्षण में यह जाँच की जाती है कि व्यवहारों का सही लेखा गया है जबकि लागत अंकेक्षण में यह भी देखा जाता है कि जिन निर्णयों के आधार पर लेखा गया है वे निर्णय उचित एवं बुद्धिमत्तापूर्वक लिए गये हैं।
- वित्तीय अंकेक्षण प्रत्येक वर्ष कराया जाता है। जबकि लागत अंकेक्षण केवल उन्हीं वर्षों में कराया जाता है जिनके लिए केन्द्रीय सरकार आदेश दे।
- वित्तीय अंकेक्षण में अंकेक्षण प्रतिवेदन का प्रकाशन किया जाता है जबकि लागत प्रतिवेदन को गुप्त रखा जाता है।
- वित्तीय अंकेक्षण में अंकेक्षक की नियुक्ति सदस्यों की साधारण सभा में की जाती है जबकि लागत अंकेक्षक की नियुक्ति केन्द्रीय सरकार की पूर्वानुमति से संचालक मण्डल द्वारा की जाती है।
- वित्तीय अंकेक्षण में अंकेक्षक अपना प्रतिवेदन कम्पनी के सदस्यों को देता है जबकि लागत अंकेक्षण में अंकेक्षक अपना प्रतिवेदन सरकार को देता है, जिसकी एक प्रति प्रबन्धकों के लिए कम्पनी को दी जाती है।
- वित्तीय अंकेक्षण प्रायः संस्था के स्वामियों यथा अंशधारी, फर्म के साझेदार के द्वारा कराया जाता है जबकि लागत अंकेक्षण बाह्य संस्थाओं यथा सरकार, व्यापारिक संघ, ग्राहक आदि द्वारा भी कराया जा सकता है।