कुछ समय तक सामाजिक लेखांकन और सामाजिक अंकेक्षण को एक ही समझा जाता रहा। इससे काफी भ्रम का वातावरण रहा डॉ.एल.एस. पोरवाल के अनुसार वास्तव में ये दोनों उसी प्रकार से भिन्न है, जिस प्रकार से लेखांकन और अंकेक्षण। सामाजिक लेखांकन में प्रतिष्ठान की सामाजिक निष्पत्ति का मापन किया जाता है, जबकि सामाजिक अंकेक्षण में सामाजिक निष्पत्ति सम्बन्धी लेखों की निष्पक्ष जाँच की जाती है।
- उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि सामाजिक लेखांकन और सामाजिक अंकेक्षण के मूल में सामाजिक निष्पत्ति का मापन है। अमेरिका की नेशनल एसोसिएशन ऑफ एकाउण्टेण्ट्स की समिति ने सामाजिक निष्पत्ति का इस प्रकार वर्णन किया है-
“निगम की सामाजिक निष्पत्ति पद निगम की क्रियाओं के समाज पर प्रभाव, प्रतिबिम्बित करता है। इसमें इसकी आर्थिक क्रियाओं तथा अन्य कार्यों का जीवन की गुणवत्ता में योगदान की निष्पत्ति को सम्मिलित किया जाता है। ये क्रियाएँ कानून की परिधि, प्रतिद्वन्द्वियों के दबाव अथवा अनुबन्धों की आवश्यकताओं से आगे भी जा सकती है।
इस समिति ने सामाजिक निष्पत्ति के निम्नलिखित चार बड़े क्षेत्र बताये हैं-
- सामुदायिक विकास – इसमें ऐसी क्रियाएँ सम्मिलित होती हैं जो मूल रूप से जन-साधारण के लाभ के लिए होती हैं, जैसे-सामान्य लोकोपकारी, भवन निर्माण, स्वास्थ्य सेवाओं का वित्त पोषण, कर्मचारियों में स्वैच्छिक क्रियाएँ, खाद्य कार्यक्रम, सामुदायिक नियोजन तथा सुधार।
- मानव संसाधन – इसमें ऐसी सामाजिक निष्पत्ति आती है जो कर्मचारियों के कल्याण के लिए की गई हों, उदाहरणार्थ, नियुक्ति सम्बन्धी कार्य में सुधार, प्रशिक्षण कार्यक्रम, काम की’ दशाएँ, पदोन्नति सम्बन्धी नीतियाँ तथा कार्य संवर्धन के लिए प्रावधान।
- भौतिक संसाधन और पर्यावरण में योगदान – इसमें पर्यावरण के प्रदूषण को रोकने या कम करने के लिए किये गये उपायों को सम्मिलित किया जाता है, उदाहरणार्थ, हवा, पानी, ध्वनि प्रदूषण, सीमित संसाधनों का संरक्षण तथा घनीभूत क्षय का निबटारा इस क्षेत्र में सम्मिलित किये जाते हैं।
- उत्पाद या सेवा में योगदान – इस क्षेत्र में उपभोक्तावाद, उत्पाद की गुणवत्ता पैकेजिंग, विज्ञापन, वारण्टी सम्बन्धी प्रावधान तथा उत्पाद सुरक्षा को सम्मिलित किया जाता है। सामाजिक अंकेक्षण का लक्ष्य यह जाँच करना है कि इन संसाधनों का समाज के लिए सामान्य व व्यवसाय के लिए विशेष रूप से किस प्रकार उपयोग किया जाता है। इस प्रकार सामाजिक अंकेक्षण एक संस्था की सामाजिक निष्पत्ति की स्वतन्त्र जाँच होती है। सामाजिक लेखांकन में संस्था की क्रियाओं के समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को मापा जाता है और रिपोर्ट किया जाता है जबकि सामाजिक अंकेक्षण में यह जाँच की जाती है कि यह मापन और रिपोर्टिंग सही और उचित है अथवा नहीं। अंकेक्षण का अर्थ
इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि सामाजिक अंकेक्षण में एक कम्पनी की निष्पत्ति का सामाजिक दृष्टिकोण से मूल्यांकन किया जाता है। एक व्यवसाय के पास जो संससाधन होते हैं वे वास्तव में समाज के होते हैं, अतः इनका उपयोग समाज के सर्वोत्तम भले के लिए किया जाना चाहिए।
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