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Home»Collage Study»लागत अंकेक्षण के प्रमुख प्रावधान
Collage Study

लागत अंकेक्षण के प्रमुख प्रावधान

adminBy adminJune 2, 20251 Comment6 Mins Read
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कम्पनी अधिनियम के लागत अंकेक्षण सम्बन्धी प्रावधान –

  1. लागत लेखे (Cost Accounts): – केन्द्रीय सरकार धारा 209 (1) (d) के अन्तर्गतकिसी कम्पनी या कम्पनियों के लिए, जो निर्माण (Manufacturing), उत्पादन (Production), प्रविधि (Processing) या खनन (Mining) सम्बन्धी कार्यों में संलग्न हैं, लागत लेखों का रखना अनिवार्य कर सकती है। ऐसे आदेश के अन्तर्गत कम्पनी को अपने कच्चे माल (Raw Material), श्रम (Labour) तथा अन्य लागत की मदों (Other Cost Items) के सम्बन्ध में लागत विवरण अपनी लेखा पुस्तकों में रखने अनिवार्य होंगे। अधिनियम की धारा 642 के अन्तर्गत केन्द्रीय सरकार कम्पनी द्वारा लागत लेखे करने सम्बन्धी नियम भी बना सकती है। केन्द्रीय सरकार ने ऐसे नियम सर्वप्रथम सीमेन्ट उ‌द्योग में लगी कम्पनियों हेतु प्रतिपादित किये हैं जिन्हें 1 जनवरी, 1967 से लागू किया गया है। धारा 209 (1) (d) के अन्तर्गत अब तक 40 विभिन्न उ‌द्योगों में लगी कम्पनियों के लिए लागत लेखे रखे जाने अनिवार्य किये जा चुके हैं जिनमें सीमेंट, साईकिल, कास्टिक सोडा, वनस्पति, रबर, रेफ्रीजरेटर, बिजली के बल्ब, ट्रैक्टर, नाईलान पालिएस्टर, मिल्क फूड, मिनी सीमेंट प्लान्ट, सोप एवं डिटरजेन्ट फर्टीलाईजर आदि उ‌द्योगों में संलग्न इकाइयों सम्मिलित हैं। ऐसे नियम बनाने का उद्देश्य यह है कि सम्बन्धित उ‌द्योग में लगी कम्पनियों अपनी लागत से सम्बन्धित लागत लेखे अनिवार्य रूप से रखे न कि अपनी सुविधा के अनुसार।
  2. लागत अंकेक्षण (Cost Audit):- भारत ने लागत अंकेक्षण के क्षेत्र में विश्व में पहल की है और सर्वप्रथम लागत अंकेक्षण के सम्बन्ध में आदेश प्रसारित किये हैं। कम्पनी अधिनियम की धारा 209 (1) (d) के अन्तर्गत जिस उ‌द्योग के लिए जहाँ केन्द्रीय सरकार इस राय की है कि लागत लेखों का अंकेक्षण होना आवश्यक है, वह एक साधारण या विशेष आदेश के आधार पर उस उद्योग की किसी कम्पनी या कम्पनियों के सम्बन्ध में अनिवार्य लागत अंकेक्षण के सम्बन्ध में आदेश दे सकती है कि ऐसा अंकेक्षण उस विधि से अथवा उस अवधि में किया जायेगा जो कि उस आदेश में निहित है तथा ऐसा अंकेक्षण उस अंकेक्षक द्वारा किया जायेगा जो कि कॉस्ट एण्ड वर्क्स एकाउन्टेन्ट्स एक्ट, 1959 (Cost and Works Accountants Act, 1959) के अन्तर्गत लागत लेखापाल (Cost Accountant) हो। (धारा 233B (1)] यदि केन्द्रीय सरकार ऐसा महसूस करे कि कॉस्ट एण्ड वर्क्स एकाउन्टेन्ट्स एक्ट, 1959 के अन्तर्गत पर्याप्त संख्या में लागत लेखापाल उपलब्ध नहीं है तो वह एक निर्धारित समय तक चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट्स एक्ट, 1949 के अन्तर्गत चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट को लागत अंकेक्षण करने हेतु अनुमति प्रदान कर सकती है। [(धारा 233B (1)]
  3. लागत अंकेक्षक की नियुक्ति (Appoinment of Cost Auditor): – किसी भी कम्पनी में लागत अंकेक्षक की नियुक्ति संचालक मण्डल द्वारा केन्द्रीय सरकार की पूर्व अनुमति लेकर की जायेगी। [(धारा 233B(2)] नियुक्ति के पूर्व संचालक मण्डल लागत अंकेक्षक से धारा 244 (1B) के अन्तर्गत एक प्रमाण-पत्र प्राप्त करेंगे कि यदि उस कम्पनी में लागत अंकेक्षक की नियुक्ति की जाती है तो वह धारा 224 (1B) के प्रावधानों के अनुसार निर्धारित सीमा के अन्तर होगी। धारा 233B के अन्तर्गत किया गया लागत अंकेक्षण कम्पनी की वैधानिक अंकेक्षण के अतिरिक्त माना जाता है जो धारा 224 के अन्तर्गत किया जाता है। [(धारा 233B(3)]
  4. लागत अंकेक्षक के अधिकार एवं कर्तव्य (Rights and Duties of Cost Auditor): – लागत अंकेक्षक के लागत लेखों के अंकेक्षण के सम्बन्ध में वही अधिकार एवं कर्तव्य है जो एक वैधानिक अंकेक्षक को धारा 227 (1) के अन्तर्गत प्राप्त होते हैं। लागत अंकेक्षक अपना कार्य समाप्त करने के पश्चात् कम्पनी ली बोर्ड (Company Law Board) द्वारा निर्देशित अवधि (सम्बन्धित वित्तीय वर्ष की समाप्ति के 180 दिन के अन्दर) में अपना प्रतिवेदन तीन प्रतिलिपियों में केन्द्रीय सरकार को प्रेषित करेगा और लागत अंकेक्षण प्रतिवेदन की एक प्रति सम्बन्धित कम्पनी को भी भेजेगा। [धारा 233B (4)] लागत अंकेक्षक को कम्पनी की लेखा पुस्तकों को देखने, प्रमापकों को देखने तथा कम्पनी के प्रवन्धकों एवं कर्मचारियों से अपने अंकेक्षण कार्य हेतु आवश्यक सूचना एवं स्पष्टीकरण प्राप्त करने का अधिकार है। साथ ही उसका कर्तव्य भी है कि वह अपना कार्य पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से सही समय अवधि में पूर्ण कर अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करे तथा अंकेक्षण हेतु उस विधि का प्रयोग करे जो लागत अंकेक्षक सम्बन्धी आदेश में निर्दिष्ट है।
  5. लागत अंकेक्षक की नियुक्ति हेतु अयोग्यताएँ (Disqualification of Appointment as Cost Auditor): – कोई भी नियुक्ति जो अधिनियम की धारा 226 (3) व (4) के अन्तर्गत किसी कम्पनी के अंकेक्षक के रूप में नियुक्ति के अयोग्य हैं, वह किसी कम्पनी में लागत अंकेक्षक के रूप में भी नियुक्त नहीं किया जा सकता है। एक व्यक्ति जो कम्पनी का वैधानिक अंकेक्षक (धारा 224) नियुक्त किया जा चुका है, उसी कम्पनी में लागत अंकेक्षक के रूप में नियुक्ति के अयोग्य होता है। अतः एक अंकेक्षक किसी कम्पनी का वैधानिक अंकेक्षक और लागत अंकेक्षक दोनों एक ही वित्तीय वर्ष के लिए नियुक्त नहीं किया जा सकता है। यदि किसी लागत अंकेक्षक में उसकी नियुक्ति की तिथि के पश्चात् कोई अयोग्यता उत्पन्न हो जाती है तो ऐसी अयोग्यता उत्पन्न होने की तिथि से उसका पद रिक्त समझा जायेगा। (धारा 233B (5)
  6. लागत अंकेक्षण रिपोर्ट (Cost Audit Report) :- लागत अंकेक्षक अपना कार्य समाप्त करने के पश्चात् लागत अंकेक्षण (रिपोर्ट) नियमों (Cost Audit Report Rules) के अन्तर्गत कम्पनी ली बोर्ड द्वारा निर्धारित प्रपत्र में अपनी रिपोर्ट कम्पनी की साधारण सभा की तिथि के 60 दिन पूर्व कम्पनी लॉ बोर्ड को प्रेषित करता है तथा रिपोर्ट की एक प्रति कम्पनी को भी भेजता है। यदि लागत अंकेक्षण रिपोर्ट में कुछ मर्यादाओं का उल्लेख है तो कम्पनी का यह कर्तव्य है कि वह इन मर्यादाओं के सम्बन्ध में समस्त सूचना एवं स्पष्टीकरण रिपोर्ट प्राप्ति की तिथि के 30 दिन के अन्दर केन्द्रीय सरकार को प्रेषित करें। [धारा 233B (7)]

उपर्युक्त प्रतिवेदन एवं सूचनाएँ तथा स्पष्टीकरण प्राप्त होने पर केन्द्रीय सरकार चाहे तो कम्पनी से अतिरिक्त सूचना, स्पष्टीकरण या जानकारी माँग सकती है, जिसे वह उचित समझे। [धारा 233B(8)]

  • सभी सूचनाएँ एवं स्पष्टीकरण प्राप्त हो जाने पर केन्द्रीय सरकार लागत अंकेक्षण प्रतिवेदन पर किसी भी अधिनियम के अन्तर्गत कोई भी ऐसी कार्यवाही करने हेतु अधिकृत है जिसे वह उचित समझे।[धारा 233B(9)]
  • केन्द्रीय सरकार यदि उचित समझे तो वह सम्बन्धित कम्पनी के सदस्यों को लागत अंकेक्षण रिपोर्ट सम्पूर्ण रूप में या उसके किसी भाग को रिपोर्ट प्राप्ति के पश्चात् होने वाली प्रथम वार्षिक साधारण सभा के नोटिस के साथ प्रेषित करने हेतु कम्पनी को आदेश दे सकती है।[धारा 233B (10)]
  • यदि अधिनियम की धारा 233B के प्रावधानों का उल्लंघन किया जाता है तो कम्पनी पर पाँच हजार रुपये तक आर्थिक दण्ड लगाया जा सकता है तथा उसके प्रत्येक दोषी अधिकारी को तीन वर्ष तक का कारावास अथवा पाँच हजार रुपये आर्थिक दण्ड अथवा दोनों सजाएँ दी जा सकती है।[धारा 233B(12)]

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