Close Menu
  • Home
  • Collage Study
  • News
  • Contact Us
  • About Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
Facebook X (Twitter) Instagram
Facebook X (Twitter) Instagram Vimeo
COLLAGE STUDY
Subscribe Login
  • Home
  • Collage Study
  • News
  • Contact Us
  • About Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
COLLAGE STUDY
  • Home
  • Collage Study
  • News
  • Contact Us
  • About Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
Home»Collage Study»लागत अंकेक्षण की प्रकृति
Collage Study

लागत अंकेक्षण की प्रकृति

adminBy adminMay 12, 2025No Comments3 Mins Read
Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr WhatsApp VKontakte Email
Share
Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

वैधानिक तौर पर लागत अंकेक्षण कम्पनी अधिनियम की धारा 233 (बी) के अन्तर्गत कुछ वर्षों से ही किया जाने लगा हैं परन्तु निजी रूप से यह जाँच, व्यवसायी निरन्तर करता रहता है। निम्नलिखित कुछ बिन्दु ऐसे हैं जिनसे लागत अंकेक्षण की प्रकृति का बोध होता है-

(1) यह एक औचित्य अंकेक्षण है – लागत अंकेक्षक को उन मामलों की जाँच कर रिपोर्ट देनी होती हैं जो सिद्धान्त की दृष्टि से गलत होते हैं। उन मामलों को दर्शाना होता है जहाँ कम्पनी के कोर्षों का अकार्यकुशलता से प्रयोग किया गया है तथा उन अनुबंधों व कार्यकलापों भी प्रकाश में लाना होता हैं जिनसे अनावश्यक लाओं का सृजन किया गया है। इस प्रकार कह सकते हैं कि लागत अंकेक्षण विभिन्न उद्देश्यों के लिए विभिन्न संसाधनों के त्याग के औचित्य, वास्तविकता तथा न्यायोचितता का सूजन करता है।

(2) यह एक कार्यक्षमता अंकेक्षण है – धारा 209 (1) के संशोधन में यह कहा गया है कि निर्दिष्ट कम्पनियों के सम्बन्ध में सामग्री तथा श्रम के उपयोग सम्बन्धी उचित रिकॉर्ड उपलब्ध रहे जिनसे कार्यक्षमता अंकेक्षण सम्भव हो सके।

(3) यह एक विशिष्ट प्रकार की सेवा है – लागत अंकेक्षण एक योग्यता प्राप्त एवं योग्य लागत लेखाकार द्वारा किया जाता है। कम्पनी अधिनियम की धारा-233 (बी) के अनुसार, Cost and Works Accountants Act, 1959 के अनुसार, एक लागत लेखाकार ‌द्वारा केन्द्रीय सरकार द्वारा निर्धारित विधि से किया जाना चाहिए, यदि योग्यता प्राप्त लागत लेखाकारों का अभाव हो तो केन्द्रीय सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करके चार्टर्ड लेखाकारों को भी निर्देशित कर सकती है कि ये लागत अंकेक्षण करें। इस प्रकार यह एक विशिष्ट सेवा है।

(4) लागत अंकेक्षण वित्तीय अंकेक्षण से भिन्न है – लागत अंकेक्षण और वित्तीय अंकेक्षण दोनों में अंतर है। लागत अंकेक्षण का प्रमुख उद्देश्य सामग्रियों, निर्मित उत्पादों की लागत की सही सूचना प्रस्तुत करना तथा विगत अनुमानों की वर्तमान राशियों की तुलना करना है। इसके अतिरिक्त सामग्री लागत, मूल्य, सामग्री की गुणवत्ता, श्रम लागत, श्रम की गुणवत्ता, उपरिव्यय की लागत, उत्पादकीय क्षमता, क्षय, हास, निर्मित उत्पादों का मूल्य निर्धारण जैसे विषयों का अध्ययन कर जाँच करना है, जबकि वित्तीय अंकेक्षण का उद्देश्य वित्तीय खातों का सत्यापन करना है।

श्री एच. आर. गोखले, भूतपूर्व मंत्री, विधि न्याय तथा कम्पनी मामले, भारत सरकार के अनुसार ‘लागत अंकेक्षण का उद्देश्य उपभोक्ता को मूल्यों की अनावश्यक वृद्धि से बचाना है, उपभोक्ता को अधिकार है कि माल तथा सेवाओं को उचित मूल्य पर प्राप्त करें। मूल्यों के औचित्य का आश्वासन मात्र लागतों के सही निर्धारण तथा उत्पादकों एवं उनके रिटेलरों द्वारा चार्ज लाभ मार्जिन द्वारा ही सकता है। इस चरण में एक अन्य उद्देश्य अन्तनिहित है कि उ‌द्योगों को ऐसे नियमों के प्रति प्रबुद्ध था कार्यसक्षम बनाया जा सके तथा उनको यह ज्ञान कराया जा सके कि विवेकपूर्ण लागतें क्या हैं ताकि उनको एक स्तर तक घटाया जाना संभव हो सके। अतः लागत अंकेक्षण के प्रयोग से उपभोक्ता के हितों की रक्षा होती है और यह निस्संदेह सामाजिक अन्याय को दूर करने की तरफ एक महत्त्वपूर्ण कदम है।’

collage Collagestudy Delhi University Education Matsayauniversity Nalanda University Rajasthan University Study
Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr WhatsApp Email
Previous Articleलागत अंकेक्षण के उद्देश्य
Next Article अवबोध के विभिन्न सिद्धान्त
admin
  • Website

Related Posts

वैश्वीकरण के दोष

June 25, 2025

वैश्वीकरण की ओर कदम

June 25, 2025

विकासशील देशों में प्रतिकूल भुगतान संतुलन को सुधारने हेतु प्रयास

June 23, 2025

विकासशील देशों में प्रतिकूल भुगतान संतुलन की समस्या

June 23, 2025
Leave A Reply Cancel Reply

Years : Archives

Subscribe to Updates

Get the latest creative news from FooBar about art, design and business.

Categories
  • Accountancy (14)
  • Banking (2)
  • Business (4)
  • Collage Study (112)
  • Education (41)
  • International Business (15)
  • M.COM Final (15)
  • M.COM Previous (14)
  • Management (7)
  • Marketing (10)
  • News (2)
  • Principle (4)
  • Uncategorized (13)
Recent Posts
  • वैश्वीकरण के दोष
  • वैश्वीकरण की ओर कदम
  • विकासशील देशों में प्रतिकूल भुगतान संतुलन को सुधारने हेतु प्रयास
  • विकासशील देशों में प्रतिकूल भुगतान संतुलन की समस्या
  • व्यापार की शर्तों को प्रभावित करने वाले तत्व
Social Follow
  • Facebook
  • Pinterest
  • Instagram
  • YouTube
  • Telegram
  • WhatsApp
Calendar
June 2025
MTWTFSS
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
30 
« May    
Tops List
Business
वैश्वीकरण के दोष
By adminJune 25, 20250

वैश्वीकरण का तात्पर्य है – दुनिया को एक वैश्विक गाँव में बदलना, जहाँ हर देश…

वैश्वीकरण की ओर कदम

June 25, 2025

विकासशील देशों में प्रतिकूल भुगतान संतुलन को सुधारने हेतु प्रयास

June 23, 2025

विकासशील देशों में प्रतिकूल भुगतान संतुलन की समस्या

June 23, 2025
Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
  • Home
  • Collage Study
  • News
  • Contact Us
  • About Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
© 2025 ThemeSphere. Designed by ThemeSphere.

Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

Sign In or Register

Welcome Back!

Login to your account below.

Lost password?