Close Menu
  • Home
  • Collage Study
  • News
  • Contact Us
  • About Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
Facebook X (Twitter) Instagram
Facebook X (Twitter) Instagram Vimeo
COLLAGE STUDY
Subscribe Login
  • Home
  • Collage Study
  • News
  • Contact Us
  • About Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
COLLAGE STUDY
  • Home
  • Collage Study
  • News
  • Contact Us
  • About Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
Home»Collage Study»लागत अंकेक्षण की कार्य योजना
Collage Study

लागत अंकेक्षण की कार्य योजना

adminBy adminJune 6, 2025No Comments7 Mins Read
Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr WhatsApp VKontakte Email
लागत अंकेक्षण
लागत अंकेक्षण
Share
Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

लागत अंकेक्षण की कार्य योजना किसी संस्था में प्रथम बार लागत अंकेक्षण के रूप में नियुक्त होने पर लागत अंकेक्षण को सर्वप्रथम उस संस्था के सम्बन्ध में सामान्य जानकारी प्राप्त करनीचाहिए एवं उसकी उत्पादन निर्माणी प्रक्रिया का विस्तार से अध्ययन कर अपनी लागत अंकेक्षण की कार्ययोजना को तैयार कर लेना चाहिए। तत्पश्चात् संस्था का व्यावहारिक लागत अंकेक्षण करना चाहिए जिसके अन्तर्गत लागत के विभिन्न तत्वों एवं लागत लेखाके विभिन्न पहलुओं की विस्तृत जाँच करनी चाहिए। इस सम्बन्ध में लागत अंकेक्षक को निम्नलिखित बिन्दुओं पर विशेष ध्यान देते हुए अंकेक्षण कार्य करना चाहिए :

  1. सामग्री (Materials):- सामग्री के सम्बन्ध में निम्न सूचनाएँ आवश्यक है:
    • सामग्री की मात्रा क्या उत्पादन की आवश्यकताओं के आधार पर पर्याप्त या अधिक है? क्या सामग्री की मात्रा में कमी सम्भव है?
    • सामग्री की प्राप्ति एवं निर्गमन के कारण उत्पादन में बाधा तो उत्पन्न नहीं होती है?
    • सामग्री का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष सामग्री मर्दो में विभाजन तथा आयातित और घरेलू सामग्री के पृथक-पृथक लेखांकन की जाँच की जानी चाहिए।
    • सामग्री नियंत्रण प्रक्रिया की जाँच की जानी चाहिए।
    • सामग्री मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया की जाँच भी होनी चाहिए।
    • क्या सामग्री स्तरों का निर्धारण, क्रयादेश बिन्दु निर्धारण, सामग्री भण्डारण लागत आदि का निर्धारण सही प्रकार से किया जाता है अथवा नहीं?
    • सामग्री हस्तान्तरण एवं वापसी का उचित लेखा किया जाता है अथवा नहीं?
    • क्रय की गई सामग्री के लिए भुगतान राशि एवं शेष के उचित लेखांकन की जाँच भी की जानी चाहिए।
    • सामग्री माँग-पत्र सही व्यक्ति ‌द्वारा हस्ताक्षरित होते हैं अथवा नहीं?
    • सामग्री हानियाँ एवं क्षय निर्धारित सीमाओं से अधिक तो नहीं है तथा उनके लेखांकन की व्यवस्था उचित है अथवा नहीं?
    • सामग्री स्टॉक का भौतिक सत्यापन (Physical verification) कर देखा जाये कि वह सही है।
    • दुर्घटनाग्रस्त सामग्री, अप्रचलित सामग्री, द्वितीय श्रेणी सामग्री आदि के मूल्यांकन एवं लेखांकन की प्रक्रिया किस प्रकार की है?
    • वांछित सामग्री का सही समय पर, सही मूल्य पर और सही मात्रा में क्रय करने की पर्याप्त व्यवस्था है अथवा नहीं?
    • सामग्री बजटिंग एवं प्रमाप निर्धारण प्रक्रिया की जाँच भी की जानी चाहिए तथा यह ज्ञात करना चाहिए कि प्रमापों के वास्तविक लक्ष्य प्राप्तियों से तुलना कर प्रतिकूल विचरणों के प्रति उठाये जाने वाले कदमों के सम्बन्ध में संस्था में क्या व्यवस्था है?
    • प्रति इकाई सामग्री उपभोग की गणना विधि प्रभावी है अथवा नहीं, इस तथ्य की जाँच भी की जानी चाहिए।
  2. श्रम (Labour) :- श्रम के सम्बन्ध में निम्नलिखित बिन्दुओं पर ध्यान देना चाहिए:
    • श्रम के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लागत में विभाजन की जाँच।
    • प्रमाप श्रम लागत एवं वास्तविक श्रम लागत की तुलना एवं लेखांकन प्रक्रिया की जाँच।
    • समय पत्रकों (Time Sheet) की जाँच।
    • अदत्त एवं पूर्वदत्त श्रम लागत की जाँच ।
    • उपस्थिति लेखों का मिलान, श्रम सूची से तथा पारिश्रमिक भुगतान का मिलान उपस्थिति और उत्पादन लेखों से किया जाना चाहिए।
    • कुछ विभार्गा के श्रमिकों की उपस्थिति की सामयिक जाँच अंकेक्षक ‌द्वारा स्वयं भी की जानी चाहिए।
    • श्रमिकों को देय छुट्टियों, बोनस, अधि-समय भुगतान, पारिश्रमिक दर्रे आदि तथ्र्यो की उचित जाँच की जानी चाहिए।
    • श्रमिकों को देय मजदूरी निर्धारण प्रक्रिया की जाँच करना तथा उसका वेतन की राशि का मिलान सारणी से करना।
    • श्रम-शक्ति का समुचित उपयोग किया जा रहा है अथवा नहीं तथा क्या श्रम उत्पादकता में वृद्धि के प्रयास किये जा सकते हैं।
    • मजदूरी भुगतान के सम्बन्ध में आन्तरिक नियंत्रण प्रणाली की जाँच भी की जानी चाहिए।
  3. उपरिव्यय (Overheads):-
    • उपरिव्ययों के विभाजन के विभिन्न आधारों की जाँच करना।
    • वास्तविक उपरिव्ययों की तुलना प्रमाप उपरिव्ययों से करना और प्रतिकूल विचरर्णो के व्यवहार की जाँच करना।
    • यह जाँच करना कि व्यर्यों के विभाजन एवं लेखांकन निर्धारित योजना के अनुसार हुआ है।
    • यह जाँच करना कि विभिन्न आदेशों, उपक्रमों व प्रविधियों पर विभिन्न उपरिव्ययों का लेखा सही एवं उचित रूप में किया गया है।
    • यह जाँच करना कि अनुमानित उपरिव्ययों से वास्तविक उपरिव्यय कितने कम या अधिक हुए हैं।
    • यह जाँच करना कि उपरिव्ययों के बंटवारे के आधार का विभिन्न वर्षों में समान रूप से (Consistently) पालन किया जा रहा है।
    • इस तथ्य की जाँच करना कि उपरिव्ययों के अवशोषण (Absorption) की विभिन्न दरों की गणना सही प्रकार की गई है और समुचित रूप से लागू की गई 12
    • यह जाँच करना कि वास्तविक उपरिव्ययों की उत्पादित इकाइयों की मात्रा से तुलना की जाती है तथा उपरिव्ययों को स्थिर एवं परिवर्तनशील उपरिव्ययों में विभाजन का आधार उचित है।
  4. प्लान्ट एवं मशीनरी (Plant & Machinery):-
    • यह जाँच करना कि विभिन्न प्लान्ट एवं मशीनरी के लिए विभागानुसार (Department-wise) या लागत केन्द्रानुसार (Cost Center-Wise) आवश्यक लेखे तथा रजिस्टर रखे जाते हैं।
    • प्लान्ट एवं मशीनरी पर हास की दर, इसकी राशि एवं विधि आदि की जाँच करना।
    • यह जाँच करना कि हास की दर एवं विधि विभिन्न वर्षों में समान रूप से अपनायी जाती है।
    • यह जाँच करना कि गत वर्ष में किसी प्लान्ट एवं मशीनरी का क्रय/विक्रय ता नहीं किया गया है और यदि किया है तो उसका समुचित एवं सही लेखांकन किया गया है।
    • यह जाँच करना कि गत वर्ष में किसी प्लान्ट एवं मशीनरी का पुनर्मूल्यांकन नहीं किया गया है।
    • यह जाँच करना कि विभिन्न प्लान्ट एवं मशीनरी किस स्थिति में है तथा उनका प्रयोग कितनी अवधि के लिए हुआ है।
    • विभिन्न प्लान्ट एवं मशीन पर दिन-प्रतिदिन मरम्मत एवं अनुरक्षण (Repair and Maintenance) सम्बन्धी व्ययों की जाँच करना।
    • यह जाँच करना कि प्लान्ट एवं मशीनरी पर होने वाले व्यय का आयगत एवं पूँजीगत में विभाजन लेखांकन के सर्वमान्य सिद्धान्तों एवं प्रक्रियाओं (Principles and Practices) के आधार पर ही किया गया है तथा उसी आधार पर उनका लेखा किया गया है।
  5. स्टोर्स एवं स्पेयर्स (Stores and Spares):-
    • स्टोर्स एवं स्पेयर्स की प्राप्ति निर्गमन एवं शेष के सम्बन्ध में मूल्य एवं मात्रा सम्बन्धी पर्याप्त लेखे रखे जाते हैं।
    • विभिन्न स्टोर्स एवं स्पेयर्स की लागत को सम्बन्धित उत्पादन, पूँजीगत सम्पत्ति, लागत केन्द्र आदि पर उचित लागत मद के अन्तर्गत दिखाया गया है।
    • विभिन्न स्पेयर्स एवं स्टोर्स के शेष का मूल्यांकन उचित आधार पर किया गया है और यह आधार विभिन्न वर्षों में समान रूप से अपनाया जाता है।
    • स्टोर्स एवं स्पेयर्स के क्षय, चोरी होने, टूट फूट होने आदि का लेखा उचित रूप में किया जाता है, इस तथ्य की भी जाँच की जानी चाहिए।
    • स्टोर्स एवं स्पेयर्स की प्रति इकाई लागत की तुलना प्रति इकाई प्रमाप लागत तथा गत वर्षों की प्रति इकाई लागत से करके अन्तर (Variance) प्रदर्शित किये जानेचाहिए।
  6. हास (Depreciation):-
    • विभिन्न स्थायी सम्पत्तियों पर हास की राशि कम्पनी अधिनियम की धारा 205 (2) में निहित राशि से कम नहीं है।
    • यदि हास की राशि धारा 205 (2) में बताई गई राशि से अधिक है तो अतिरिक्त हास राशि को लागत लेखों में पृथक से दिखाया गया है।
    • हास की विधि विभिन्न वर्षों में समान रूप से अपनायी जाती है और गत वर्ष में इस विधि में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
    • यदि किसी सम्पत्ति का पुनर्मूल्यांकन किया गया है तो हास की राशि की गणना के लिए इस पुनर्मूल्यांकन का ध्यान नहीं रखा गया है।
    • उत्पादन या निर्माण की लागत ज्ञात करते समय हास की राशि को सम्बन्धित मद में सही एवं उचित रूप में सम्मिलित किया गया है।

उपर्युक्त मुख्य बिन्दुओं का अंकेक्षण कार्य करने के साथ ही एक लागत अंकेक्षक को संस्था के पूँजीगत व्यर्यो (Capital Expenditure), सेवाओं (Services) उत्पादन एवं सांख्यिकीय अभिलेखों (Production and Statistical Records), विभिन्न वित्तीय सूचनाओं (Different Financial Informations), अर्द्ध-निर्मित एवं निर्मित माल के स्टॉक (Work-in Process and Finished Goods Stock), विक्रय की राशि (Sales), उत्पादन क्षमता (Production Capacity) आदि तत्वों के सम्बन्ध में भी जाँच-कार्य करना एवं सम्बन्धित सूचनाओं को अपनी लागत अंकेक्षण रिपोर्ट में सम्मिलित करनी होती है।

collage Collage study Collagestudy Delhi University Education Matsayauniversity Nalanda University Rajasthan University Study Vmou Kota
Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr WhatsApp Email
Previous Articleक्रय नियन्त्रण की आवश्यकता
admin
  • Website

Related Posts

क्रय नियन्त्रण की आवश्यकता

June 6, 2025

लागत अंकेक्षण के प्रमुख प्रावधान

June 2, 2025

लागत अंकेक्षण प्रबन्ध के सहायक के रूप में

May 14, 2025

लागत अंकेक्षण का क्षेत्र

May 14, 2025
Leave A Reply Cancel Reply

Years : Archives

Subscribe to Updates

Get the latest creative news from FooBar about art, design and business.

Categories
  • Collage Study (72)
  • News (2)
  • Uncategorized (13)
Recent Posts
  • लागत अंकेक्षण की कार्य योजना
  • क्रय नियन्त्रण की आवश्यकता
  • लागत अंकेक्षण के प्रमुख प्रावधान
  • लागत अंकेक्षण प्रबन्ध के सहायक के रूप में
  • लागत अंकेक्षण का क्षेत्र
Social Follow
  • Facebook
  • Pinterest
  • Instagram
  • YouTube
  • Telegram
  • WhatsApp
Calendar
June 2025
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
30  
« May    
Tops List
Collage Study
लागत अंकेक्षण की कार्य योजना
By adminJune 6, 20250

लागत अंकेक्षण की कार्य योजना किसी संस्था में प्रथम बार लागत अंकेक्षण के रूप में…

क्रय नियन्त्रण की आवश्यकता

June 6, 2025

लागत अंकेक्षण के प्रमुख प्रावधान

June 2, 2025

लागत अंकेक्षण प्रबन्ध के सहायक के रूप में

May 14, 2025
Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
  • Home
  • Collage Study
  • News
  • Contact Us
  • About Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
© 2025 ThemeSphere. Designed by ThemeSphere.

Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

Sign In or Register

Welcome Back!

Login to your account below.

Lost password?