भारत में लागत अंकेक्षण कम्पनी अधिनियम की धारा 209 (1) (d) तथा धारा 233-B के प्रावधानों के अन्तर्गत किया जाता है। वैधानिक प्रावधानों के अन्तर्गत लागत अंकेक्षण के क्षेत्र में आने वाली कम्पनियाँ प्रतिवर्ष लागत अंकेक्षण करवाना अनिवार्य नहीं है परन्तु लागत लेखे रखना आवश्यक है।
लागत अंकेक्षण करते समय अंकेक्षक के लिए यह सम्भव नहीं हो पाता है कि लागत खार्तों की सम्पूर्ण जाँच एवं सत्यापन हो पाये अतः वह कुछ चुनिंदा खातों का ही प्रमाणन व सत्यापन करता है। ऐसी स्थिति में आन्तरिक नियंत्रण की पर्याप्तता व सार्थकता निर्धारण हेतु लागत अंकेक्षक को वित्तीय व आन्तरिक अंकेक्षक के प्रतिवेदनों का ध्यानपूर्वक अध्ययन कर लेना चाहिए। समय सीमा के कारण लागत अंकेक्षक सभी लेनदेनों व प्रपत्रों की जाँच न कर पाये तो उसको सभी प्रचलित विधियों तथा व्यवस्थाओं का तंत्र अंकेक्षण (System Audit) भी करना चाहिए।
लागत अंकेक्षक को अपने क्षेत्र के लिए यह ध्यान रखना चाहिए कि उसका काम केवल गणितीय अशुद्धियाँ ढूंढने तक ही सीमित नहीं है बल्कि उसको यह आश्वासन भी देना है कि लागत लेखांकन नियम व सिद्धान्त विधिवत् अपनाये गये हैं, अनियमितताओं एवं गलतियों को प्रकाश में लाया गया है तथा लागत घटाने हेतु रचनात्मक सुझाव दिये गये हैं। इस हेतु अंकेक्षक को लागत नियंत्रण व लागत कटौती के विभिन्न तरीकों को भी देखना चाहिए।
लागत अंकेक्षण करते समय अंकेक्षक को इस बात से भी आश्वस्त होना चाहिए कि अंकेक्षण निम्न अधिनियमों एवं प्रावधानों के अन्तर्गत किया जा रहा है –
(2) Cost Accounting Record Rules
(3) The Cost Audit (Repot) Rules, 1996 तथा
(4) Cost and Works Accountants Act, 1956
कुछ विद्वानों ने लागत अंकेक्षण के क्षेत्र को निम्नानुसार वर्गीकृत करके समझाया है
- लागत की विभिन्न मदों के रूप में क्षेत्र – लागत की विभिन्न मदों यथा सामग्री, किया जाता है। लागत अंकेक्षण के क्षेत्र के अन्तर्गत इसमें श्रम तथा उपरिव्ययों की राशि का अंकेक्षण
- संस्था के विभिन्न कार्यों के रूप में क्षेत्र – इसके अन्तर्गत संस्था की प्रत्येक गतिविधि यथा उत्पादन, विक्रय एवं वितरण, परिव्ययांकन, लेखा एवं वित्त, कर्मचारी एवं औद्योगिक सम्बन्ध, न्यायिक, सचिवीय एवं प्रशासनिक कार्य, शोध एवं विकास आदि का अंकेक्षण किया जाता है।
- प्रबन्ध के विभिन्न कार्यों के रूप में क्षेत्र – प्रबन्ध के प्रमुख कार्य यथा नियोजन, संगठन, समन्वय, निर्देशन एवं नियन्त्रण को सम्मिलित करते हैं। अंकेक्षण के क्षेत्र के अन्तर्गत इसमें प्रबंधक को यह देखना होता है कि न्यूनतम लागत पर सर्वोत्तम कार्य कैसे किया जाये।
- स्वामित्व के आधार पर कार्य क्षेत्र – लागत अंकेक्षण के सभी सिद्धान्त व नियम सभी संस्थाओं में लागू होते हैं चाहे वह सरकारी हो या निजी। लागत अंकेक्षण का प्रमुख उद्देश्य लागत नियन्त्रण करके या कम करके लाभदायकता व उत्पादकता में वृद्धि करना होता है।