लागत अंकेक्षण दो शब्दों लागत + अंकेक्षण से मिलकर बना है। लागत से आशय समस्त व्ययों के कुल योग से हैं तथा अंकेक्षण से आशय लेखा पुस्तकों एवं सम्बन्धित प्रपत्रों की जाँच से है। इस जाँच का उद्देश्य व्यवसाय की सही स्थिति की जानकारी रखना होता है।

इस प्रकार स्पष्ट है कि लागत अंकेक्षण लागत लेखों की जाँच है’ जिसका उद्देश्य लागत लेखों की सत्यता की जाँच कर यह देखना है कि लागत का निर्धारण सही है या नहीं। इंस्हीयूट ऑफ कॉस्ट एण्ड वर्क्स एकाउन्टेन्ट्स ऑफ इंडिया ने लागत अंकेक्षण को “व्ययों के सूक्ष्म विवरणों की निपुणता के अंकेक्षण के रूप में व्यक्त किया है।

यह मरणोपरान्त परीक्षा न होकर उस समय किया जाता है जब कार्य निर्माणाधीन हो। अंकेक्षण मूलतः एक प्रतिरोधात्मक कदम है जो कार्यक्षमता के बैरोमीटर के अतिरिक्त प्रबन्धकीय नीति तथा निर्णयन हेतु मार्गदर्शक भी सिद्ध होता है।

‘इंग्लैण्ड की लागत एवं प्रबन्ध लेखापालों की संस्था के अनुसार, “लागत अंकेक्षण लागत लेखों की शुद्धता के सत्यापन तथा लागत लेखाकर्म की योजना के अनुसरण की जाँच है।

उक्त परिभाषाओं के आधार पर लागत अंकेक्षण की निम्नलिखित विशेषताएँ प्रकट होती हैं-

  • लागत अंकेक्षण यह सत्यापित करता है कि लागत लेखे उ‌द्योग में अपनायी गई लागत लेखा विधि के सिद्धान्तों के अनुरूप समुचित रूप से रखे गये हैं।
  • लागत अंकेक्षण से अशुद्धियों, कपट एवं सम्भाव्य गड़बड़ियों को रोका जा है।
  • लागत अंकेक्षण द्वारा इस बात के लिए आश्वस्त होना कि लागत लेखांकन कार्यविधि को व्यवसाय में पूर्ण रूप से लाग किया जा रहा है।

आधुनिक प्रतिस्पर्धा के युग में प्रत्येक व्यवसायी के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वे न्यूनतम लागत में अधिकतम उत्पादन करके अधिकतम लाभ अर्जित करने की क्षमता रखना। लिए संस्था में लागत को न्यून रखने तथा सामग्री, श्रम, संयंत्र व मशीन आदि का अधिकतम करने के निरन्तर प्रयास चलते रहे ताकि लक्ष्य तक पहुँचने हेतु संस्था में लागत योजना एवं सही हिसाब रखना ही पर्याप्त नहीं हैं

वरन् यह भी देखना होता है कि कार्य व्यवस्थित योजना के चल रहा है अथवा नहीं। यदि कोई कार्य योजना से हटकर किया गया है तो उसके उचित कारण हैं? साथ ही लागत के सम्बन्ध में जो हिसाब रखा गया है वह सही है या नहीं?

इसी आवश्यकता ने लागत अंकेक्षण को जन्म दिया है। इसी कारण 1965 में भारतीय कम्पनी अधिनियम, 1956 में संशोधन। करके लागत अंकेक्षण के लिए धारा 233 (B) जोड़ी गयी तथा लागत अंकेक्षण को वैधानिक मान्यता प्रदान की गई।

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