भुगतान संतुलन के तात्पर्य देश के सम्पूर्ण आयातों, निर्यातों एवं अन्य सेवाओं के बाजार मूल्य के विवरण से लगाया जाता है। इसमें देश की विदेशी मुद्रा की लेनदारियों एवं देनदारियों का विवरण रहता है। लेनदारियों एवं देनदारियों के अन्तर को भुगतान संतुलन कहा जाता है। इस प्रकार भुगतान संतुलन किसी देश के अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय व्यवहारों का विवरण होता है।
विभिन्न विद्वानों द्वारा भुगतान संतुलन के अर्थ को परिभाषा में बांधने का प्रयास किया गया है। कुछ प्रमुख परिभाषाएं इस प्रकार है:-
पो. वाल्टर क्रासे (Walter Krause) के अनुसार भुगतान संतुलन किसी देश के नागरिकों एवं शेष विश्व के नागरिको के बीच एक विशेष समय में साधारणतः एक वर्ष में किये गये समस्त आर्थिक लेनदेनों का एक व्यवस्थित अभिलेख है।
प्रो. पी. टी एल्सवर्थ (P.T. Ellsworth) के अनुसार “भुगतान संतुलन एक देश के निवासियों का शेष विश्व के निवासियों के मध्य किये गये समस्त लेनदेनों का लिखित विवरण है। यह किसी निश्चित समय-सामान्यतः एक वर्ष के लिये होता है।
“प्रो. बेन्हम (Benham) के अनुसार “किसी देश का भुगतान संतुलन उस देश का शेष विश्व के साथ किसी निश्चित समय अवधि में किये जाने वाले मौद्रिक लेन-देन का विवरण है।
प्रो. हबरलर कहते है कि भुगतान संतुलन शब्द का प्रयोग कई अर्थों में किया जा सकता है। आपके अनुसार भुगतान संतुलन का प्रयोग पांच अर्थों में किया जाता है। जैसे निश्चित अवधि में क्रय एवं विक्रय की गयी विदेशी मुद्रा की मांगाए, एक निश्चित अवधि में देश को प्राप्त भुगतान एवं देश के नागरिकों द्वारा किये गये भुगतान, आय खातों पर भुगतान संतुलन, अन्तर्राष्ट्रीय ऋण ग्रस्थता के संतुलन से भी लगाया जाता है, भुगतान संतुलन शब्द का प्रयोग विदेशी मुद्रा की मांग एवं पूर्ति संबंधी परिस्थिति के अर्थ में किया जाता है।
इस प्रकार उपर्युक्त परिभाषाओं में से क्रासे द्वारा दी गयी परिभाषा को उचित परिभाषा कहा जा सकता है। वास्तव में यदि देखा जाय तो भुगतान संतुलन के अध्ययन से हमें यह पता। चलता है कि हम विदेशों से क्या प्राप्त कर रहे है तथा कितना हमें भुगतान करना है। देश की बदलती हुई आर्थिक स्थिति का अनुमान भुगतान संतुलन से लगाया जा सकता है। भुगतान संतुलन किसी देश के लिए एक आर्थिक स्थिति मापक (Barometer) है। जिसमें उस देश की आर्थिक स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है।