विश्व बैंक मुख्य रूप से निम्न कार्य करता है –
Bank का प्रमुख कार्य लोगों और संस्थाओं से जमा स्वीकार करना और उन्हें ऋण प्रदान करना है। इसके अलावा बैंक चेक, ड्राफ्ट, और डिजिटल माध्यमों से लेन-देन की सुविधा देते हैं। बैंक ग्राहकों के लिए सुरक्षित जमा, लॉकर सेवा, मुद्रा विनिमय, निवेश पर सलाह और बीमा सेवाएं भी प्रदान करते हैं। बैंक सरकार की नीतियों को लागू करने में सहायता करते हैं और देश की आर्थिक स्थिरता में योगदान देते हैं। आधुनिक बैंकिंग में ऑनलाइन और मोबाइल बैंकिंग सेवाओं का भी विशेष महत्व बढ़ गया है।
- ऋण प्रदान करना – बैंक मध्यम तथा दीर्घकालीन ऋण ही प्रदान करती है। ये ऋण सदस्य देर्शा को ही दिये जाते हैं। इनकी अवधि 5 वर्ष से 25 वर्ष तक की होती है। ऋणों को सदस्य देश के केन्द्रीय बैंक के माध्यम से दिया जाता है। बैंक ऋण प्रदान नकरने में उदार नीति का लालन करता है और ऋण की राशि ऋणी देश की आवश्यकता और उसकी विकास योजनाओं को ध्यान में रखकर निश्चित की जाती है। ऋणों की व्यवस्था सदस्य देश की सरकार या उस देश में रहने वाले निजी उद्यमकर्ताओं, दोनों के लिए की जा सकती है। निजी उद्योगों को दिये गये ऋणों केलिए सम्बन्धित देश की केन्द्रीय बैंक अथवा सरकार की गारण्टी आवश्यक होती है। बैंक अन्तिम ऋणदाता के रूप में होता है। वह ऐसी स्थिति में ही ऋण की व्यवस्था करता है जबकि सम्बन्धित कार्य हेतु अन्य वित्तीय संस्थाओं से उचित शर्तों पर क्या प्राप्त होने की सम्भावना नहीं होती। सदस्य देश की सरकार या अन्य संस्था द्वाराऋण की मांग करने पर एक ऋण समिति नियुक्त की जाती है जिसके सदस्य संबंधित क्षेत्र के होते हैं। यह समिति मांगे गये ऋण की जांच करती है और आवश्यकता अनुभव होने पर सम्बन्धित में जाकर उस योजना की सत्यता की जांच भी कर सकती है। तत्पश्चात् ऋण की मांग के औचित्य देखकर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करती है। इसरिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए ऋण देने पर विचार किया जाता है। बैंक केवल उत्पादक कार्यों के लिए ही क्या देता है। बैंक द्वारा प्रमुख रूप से बिजली, परिवहन, उद्योग, कृषि, शिक्षा, जलापूर्ति आदि कार्यों के लिए ऋण दिये जाते हैं ऋण तीन प्रकार के होते हैं
- प्रत्यक्ष ऋण – प्रत्यक्ष ऋण अपने निजी साधनों से अथवा खुले बाजार में ऋण-पत्र निर्गमित करके दिये जाते हैं।
- गारण्टीयुक्त ऋण – निजी विनियोगकृर्ताओं को गारण्टी देकर ऋण दिलाये जाते हैं जो कि बहुधा विकास योजनाओं के लिए होते हैं। गारण्टी के लिए बैंक 1% कमीशन लेता है।
- संयुक्त ऋण – व्यापारिक बैंकों के साथ मिलकर भी बैंक ऋण देता है। इस समय अधिकांश ऋण संयुक्त प्रकार के ही होते हैं।
- तकनीकी सहायता – विश्व बैंक सदस्य देशों को तकनीकी सहायता देकर उनके पुननिर्माण व आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए बैंक ने सदस्य देशों के विस्तृत आर्थिक सर्वेक्षण कराये हैं ताकि इन देशों के प्राकृतिक स्रोतों, आर्थिक विकास की सम्भावनाओं आदि के बारे में आवश्यक जानकारी प्राप्त की जा सके। इस प्रकार की जानकारी, विश्व बैंक सदस्य देशों के आर्थिक विकास में व्यावहारिक परामर्श देकर उनको आर्थिक विकास में यथोचित सहायता पहुँचाता है। विश्व बैंक सदस्य देशों की प्रार्थना पर अपने विशेषज्ञ उन देशों को भेजता है, जो सम्बन्धित देशों की विविध योजनाओं से सम्बन्धित आर्थिक, वैज्ञानिक तथा तकनीकी सुझाव प्रस्तुत करते हैं। इस प्रकार सदस्य देशों को विश्व बैंक से केवल आर्थिक सहयोग ही प्राप्त नहीं होता अपितु बौद्धिक सहयोग भी उपलब्ध होता है।
- प्रशिक्षण व्यवस्था – सदस्य देशों की विकास योजनाओं के सफल संचालन के लिए बैंक प्रशिक्षण सुविधाएं भी देता है। विश्व बैंक ने जनवरी, 1949 से आर्थिक मामलों से सम्बन्धित विषयों में प्रशिक्षण दिलाने की एक योजना आरम्भ की है। इस योजना के अन्तर्गत सदस्य देशों के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए एकवर्षीय प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया है। जनवरी 1950 से बैंक ने सदस्य देर्शा के प्रशिक्षणार्थियों के लिए सार्वजनिक राजस्व में प्रशिक्षण दिलवाने के लिए एक और प्रशिक्षण कार्यक्रम को आरम्भ किया । सन् 1952-53 से इस कार्यक्रम के अन्तर्गत वित-व्यवस्था, कर-व्यवस्था, मौद्रिक व्यवस्था तथा औद्योगिक एवं बैंक विकास से सम्बन्धित प्रशिक्षण भी चालू किया गया। रॉक फेलर तथा फोर्ड फाउण्डेशन की वितीय सहायता से विश्व बैंक ने 1956 में एक आर्थिक विकास संगठन की स्थापना की। यह संस्थान प्रतिवर्ष लगभग 20 प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण देता है। इसका मुख्य उद्देश्य अविकसित देशों के उच्चपदस्थ अधिकारियों को आमन्त्रित करके उन्हें सार्वजनिक वित्त, साख व्यवस्था, कृषि, उद्योग, व्यापार, भुगतान सन्तुलन आदि के बारे में विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है जिससे वह अपने देश में उपरोक्त क्षेत्रों से सम्बन्धित समस्याओं का सही समाधान कर सकें ।
- अन्तर्राष्ट्रीय विवादों को निपटारा – एक अन्तर्राष्ट्रीय निष्पक्ष संगठन होने के कारण (विश्व बैंक एक ऐसी संस्था बन गई है। जिसे अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक समस्याएं सुलझाने के लिए मध्यस्थता का कार्य सौंपा जा सकता है। इस प्रकार बैंक अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति और सद्भाव बढ़ाने का एक बड़ा साधन है। 1956 में ब्रिटेन और संयुका अरब गणराज्य के स्वेज नहर के राष्ट्रीयकरण के विवाद को मध्यस्थता द्वारा निपटाया ।
इसी प्रकार 1960 में भारत पाकिस्तान के सिंध नदी के जल बंटवारे के विवाद को समाप्त कराया।