निर्माण प्रक्रिया की समीक्षा करते समय प्रवन्ध अंकेक्षक को अनेक बार्ता की जाँच करनी पड़ती है, जैसे यन्त्र स्थान की समीक्षा, संयन्त्र विन्यास की समीक्षा, निर्माण विधि की समीक्षा, सूचना प्रणाली की समीक्षा, नियन्त्रण तकनीक की समीक्षा आदि। इन सभी तथ्यों का विस्तृत विश्लेषण करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। इन लाभों का संक्षिप्त विवेचन निम्न प्रकार है:
- प्रबन्धकों को – प्रवन्धकों को निर्माण प्रक्रिया में कमियाँ तथा कठिनाइयों का पता लग जाता है। प्रबन्ध अंकेक्षक दारा इन कठिनाइयों को दूर करने हेतु भी सुझाव दिये जाते हैं। इन सुझावों के आधार पर निर्माण प्रक्रिया में सुधार किया जाता है तथा समय-समय पर आवश्यक कदम उठाये जाते हैं। इस प्रकार प्रबन्धक निर्माण-प्रक्रिया को योजनानुसार डालने में सफल हो जाते हैं।
- श्रमिकों को – निर्माण प्रक्रिया की समीक्षा के दौरान प्रबन्ध अंकेक्षक संस्था की कार्मिक नीति की भी समीक्षा करता है। इसके अतिरिक्त कार्य की दशा व श्रम कल्याण योजनाओं की समीक्षा कर प्रबन्धकों को कार्य करने के लिए उचित वातावरण उपलब्ध करवाने की सलाह देता है। वह कार्मिक नीति की कमजोरियों की ओर प्रबन्धकों का ध्यान आकर्षित करता है। इन सभी के फलस्वरुप प्रबन्धों को उचित पारितोष मिलता है, उनके कार्यों को मान्यता प्राप्त होती है व उनकी कार्यकुशलता में वृद्धि होती है।
- समाज को – निर्माण प्रक्रियाओं की समीक्षा के फलस्वरूप प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से समाज को भी बहुत लाभ प्राप्त होते हैं। प्रबन्ध अंकेक्षक संस्थान को प्रदूषण आदि नियन्त्रित करने व समाज के अधिकाधिक हित में कार्य करने की सलाह देता है। प्रबन्ध अंकेक्षक संस्था की कार्यकुशलता बढ़ाने में वृद्धि हेतु सुझाव देता है। प्रबन्ध अंकेक्षण निर्माण क्रियाओं को सुचारु रूप से निरन्तर रखने में योगदान देता है जिससे उपक्रम निरन्तर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता रहे व समाज भी समृद्धि की ओर अग्रसर होता जाए। यदि कोई उपक्रम असफल हो जाता है तो हानि किसकी होगी? समाज की।
- उपभोक्ताओं को – वैसे तो निर्माण प्रक्रियाओं की समीक्षा का उपभोक्ताओं से अप्रत्यक्ष सम्बन्ध है, फिर भी उपभोक्ताओं को इससे लाभ होता है। इन क्रियाओं की समीक्षा द्वारा उत्तम किस्म की वस्तुओं का निर्माण, समुचित समय, न्यूनतम लागत पर किया जाता है। फलस्वरूप उपभोक्ताओं को आवश्यकता के समय अच्छी किस्म की वस्तुएँ उचित मूल्य पर प्राप्त हो जाती हैं। इससे उपभोक्ताओं का जीवन स्तर ऊँचा होता है।
- अंशधारियों को – प्रबन्ध अंकेक्षक निर्माण प्रक्रियाओं की समीक्षा दद्वारा उपक्रम को कुशलतापूर्वक चलाने में योगदान देता है। फलस्वरूप उपक्रम हानि से सुरक्षित रहता है व निर्बाध गति से अपना कार्य करता रहता है। लाभ अधिक होने से अंशधारियों को अधिक लाभांश प्राप्त होगा तथा उनके द्वारा विनियोजित पूँजी भी सुरक्षित रहेगी।