व्यवसाय व उद्द्योग की सामान्य गतिविधि के दौरान क्रय-प्रक्रिया निरन्तर जारी रहती है। क्रय किये गए माल व सेवाओं का महत्व किसी भी दशा में रोकड से कम नहीं है। अतः क्रय प्रक्रिया पर कठोर नियंत्रण की आवश्यकता है। किसी भी व्यापारी को निम्न तथ्यों के प्रति आश्वस्त होने के लिए क्रय प्रक्रिया को नियंत्रण में रखना पड़ता है
- आवश्यक माल का क्रय- क्रय प्रक्रिया पर नियंत्रण द्वारा यह देखा जाता है कि संस्था द्वारा आवश्यक माल उसी किस्म का क्रय किया जा रहा है, जिसकी कि वास्तव में संस्था को आवश्यकता है। क्रय प्रक्रिया पर नियंत्रण द्वारा अनावश्यक माल के क्रय पर तुरन्त रोक लगाई जा सकती है।
- सही समय पर क्रय- क्रय नियन्त्रण द्वारा यह भी देखा जाता है कि माल काक्रय ठीक समय पर हो रहा है अथवा नहीं। क्रय नियन्त्रण द्वारा यह पता लगाया जा सकता है कि माल क्रय करने की आवश्यकता कब होगी व माल ऐसे समय पर क्रय किया जाता है कि माल आवश्यकता के समय काम आ सके। क्रय नियन्त्रण द्वारा इस बात पर भी ध्यान रखा जाता है कि माल आवश्यकता से बहुत समय पहले या आवश्यकता के पश्चात् क्रय नहीं किया जाए।
- सही मूल्य पर क्रय- क्रय नियंत्रण द्वारा इस बात का भी ध्यान रखा जाता है किक्रय मूल्य उचित विचार विमर्श के पश्चात् निर्धारित किया गया है व ऐसे क्रय मूल्य का निर्धारण तो नहीं कर दिया गया है, जिस पर व्यवसाय को भारी हानि हो या उस मूल्य पर माल उपलब्ध ही न हो।
- सही मात्रा में क्रय- माल का क्रय व्यवसाय की आवश्यकताओं को देखते हुए सही मात्रा में होना चाहिए। बहुत छोटी छोटी मात्रा में आदेश देने से असुविधा होती है व व्यापारिक बड़े का लाभ भी नहीं मिल पाता है जबकि बहुत बड़ी मात्रा में माल क्रय पर माल को संग्रहित करने के लिए धन व संग्रहालय दोनों की असुविधा हो सकती है। क्रय नियन्त्रण में इस बात का अध्ययन किया जाता है कि माल सही मात्रा में खरीदा गया है।
- सही स्थान पर क्रम नियंत्रण इस बात के लिए भी आवश्यक है कि माल का क्रय ऐसे स्थान से किया जाए, जहां से मास को लाने में सुविधा रहे व परिवहन, में भी न्यूनतम व्यय हो |