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Home»Collage Study»ऋण एवं अग्रिम
Collage Study

ऋण एवं अग्रिम

adminBy adminJune 16, 2025Updated:June 16, 2025No Comments3 Mins Read
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ऋण एवं अग्रिम
#collagestudy #educaion #study
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ऋण एवं अग्रिम (Loans & Advances): किसी भी बैंक में सम्पति पक्ष की और की यह सबसे महत्वपूर्ण मद है क्योंकि बैंकों का सबसे प्रमुख कार्य उधार देना ही हैं। बैंक सामान्यतः नकद साख, अध विकर्ष व बिलों की कटौती के रूप में साख सुविधाएं उपलब्ध करवाते हैं। इस मद की जाँच करते समय अंकेक्षक को निम्न कदम उठाने चाहिए:-

  1. अंकेक्षक को यह देखना चाहिए कि बैंकिंग नियमन अधिनियम को धारा 21 के अन्तर्गत वर्णित ऋण का उद्देश्य, ऋण की अधिकतम सीमा मूल्यांकन व ब्याज की दर से सम्वन्धित नियमों का पालन किया गया है या नहीं। प्रत्येक ऋण का उचित तरीके से शर्तों का पालन करते हुए सक्षम अधिकारी द्वारा स्वीकृत किया गया है या नहीं साथ ही यह भी देखना चाहिए इस अधिनियम की तृतीय अनुसूची के अनुसार इनका वर्गीकरण किया गया है या नहीं। यदि रिजर्व बैंक ने किसी बैंक या सभी बैंर्को के लिए कुछ मार्गदर्शक नीति बनाई है तो उनका भी पालन किया गया है।
  2. अंकेक्षक को इस बात की जाँच करनी चाहिए कि बैंक द्वारा जो जमानती ऋण दिये गये है उनकी जमानत के रूप में रखी अंचल संपति का बैंक के नाम हस्तान्तरण हुआ है या नहीं। इन सम्पत्तियों के स्वामित्व की जाँच करनी चाहिए।
  3. जो ऋण बैंक द्वारा जीवन पॉलिसी या किसी प्रकार की चल संपति की जमानत पर दिये जाते हैं, इन पर स्वामित्व तो बैंक का हो जाता है परन्तु ये प्रत्येक ग्राहक के नियंत्रण में या संग्रहालय में ही है। ऐसी सम्पति के बेचान पत्रों एवं वास्तविक मूल्य की जाँच के साथ-साथ उसका आकस्मिक निरीक्षण भी करना चाहिए।
  4. जमानत पर रखी सम्पति का मूल्य ऋण की राशि के अधिक होना चाहिए।
  5. अंकेक्षक को इस बात की गहन जाँच करनी चाहिए कि बैंक द्वारा दिया प्रत्येक ऋणवसूली योग्य है या नहीं। यदि कोई ऋण खाता ऐसा है जिसमें ब्याज या मूलधन की किश्तें समय पर नहीं आ रही है या असामान्य रूप से बकाया चल रही है तो, इसे गहनता से जाँचना चाहिए। जिन खातों के सम्बन्ध में शाखा अंकेक्षक के विपरीत रिपोर्ट प्रस्तुत की है, बैंक ने ऋण की वसूली हेतु ऋणी के खिलाफ क्या कानूनी कार्यवाही की है, यह भी देखना चाहिए।
  6. ऋणों एवं अग्रिमों के निम्न प्रकार से वर्गीकरण के सम्बन्ध में सूचना देनी चाहिए।
    • ऐसे संदेहजनक ऋण, जिनके लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
    • बैंक के अधिकारियों, संचालकों व प्रबन्धकों द्वारा वर्ष में किसी भी समय देय ऋण की अधिकतम राशि।
    • ऐसी संस्थाओं द्वारा देय ऋण जिनमें बैंक के संचालकों व अधिकारियों का न किसी रूप में हित है।
    • अन्य बैंकिंग कम्पनियों में बकाया राशि।
    • अग्रिम का निष्पादित सम्पत्तियों एवं गैर निष्पादित सम्पत्तियों (Non Performing Assets) के रूप में वर्गीकरण किया गया है। एक सम्पत्ति गैर निष्पादित तब बन जाती है जब उससे प्राप्य आय एवं निर्दिष्ट अवधि के लिए बैंक को प्राप्त नहीं होती है। इससे अवधि ऋण, नगद साख अधिविकर्ष आदि सम्मिलित होते हैं।
  7. भुनाये गये और क्रय किये गये बिर्ला (Bills discounted and purchased) के सम्बन्ध में निम्नलिखत सूचनायें देनी चाहिये :-
    • किसी भी पक्षकार के सीमा से अधिक (Excess of limits) भुनाये गये बिल।
    • किसी खाते से बार-बार लौटाने वाले बिल।
    • ऐसे बिल जो कि परिपक्व हो गये है, किन्तु समायोजित नहीं किये गये है।
    • ऐसे बिलों से पुराने बकाया शेष।
    • स्वयं के लिए काटे गये बिल या सहयोगी संस्थाओं के लिए काटे गये बिल।
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