संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं के द्वारा मनुष्य सूचनाओं का प्रविधियन एवं विवेचन करता है। इनमें मुख्य रूप से परिकल्पना अवबोधन एवं चिन्तन शामिल है। सामान्य रूप से यह माना जाता है कि अवबोध की प्रक्रिया सम्पूर्ण संज्ञानात्मक प्रक्रिया का प्रतिनिधित्व करती है। सरल रूप में अवबोध प्राथमिक तौर पर चिन्तन या संज्ञान की प्रक्रिया है जिसके द्वारा मानव उद्दीपकों व वातावरणीय घटकों का चयन, संगठन एवं विवेचन करता है।
अवबोध में वातावरण स्थिति की व्याख्या व विवेचन किया जाता है। यह स्थिति किसी स्थिति की हुबहू ‘अभिलेखन नहीं है। यह किसी स्थिति या वातावरण का छायाचित्र लेना नहीं है वरन् व्यक्तिगत दंग से स्थिति का अर्थ लगाना है। यह वास्तविक जगत का व्यक्तिगत नजरिया है। यह आशिक व्यक्तिगत संरचना है जिसमें व्यक्ति अपनी मुख्य भूमिका (व्यवहार) के लिए कुछ चीर्जा (अर्थ निर्णय) का चयन व्यक्तिगत ढंग से करता है। अतः इससे यह भी स्पष्ट होता है कि व्यक्ति का बोधात्मक जगत उसके वास्तविक जगत से बिल्कुल भिन्न हो सकता है। हेरोल्ड लीविट कहते हैं कि, ‘एक प्रबन्धक का बोधात्मक जगत उसके अधीनस्थ कर्मचारी के बोधात्मक जगत से पूर्णतः भिन्न होता है तथा दोनों के जगत का चित्र वास्तविक जगत से बिल्कुल विपरीत हो सकता है। “संक्षेप में, ‘अवबोध’ वास्तविक जगत, वातावरण व उद्दीपको को चयनित रूप से ग्रहण करने, संगठित करने तथा अपनी भूमिका के निष्पादन एवं व्यवहार के लिए उस स्थिति की व्यक्तिगत ढंग से व्याख्या करना है। स्थिति की व्याख्या व विवेचन करते समय व्यक्ति स्वयं के दृष्टिकोण व विचारों, वस्तु एवं वातावरणीय घटको से प्रभावित होता है।
- अवबोध की कुछ परिभाषायें निम्न प्रकार हैं –
- वोन हेलर गिलमर के अनुसार ‘अवबोध स्थितियों के प्रति जागरुक होने की तथा संवेदनाओं के साथ अर्थपूर्ण सम्बन्ध जोड़ने की प्रक्रिया है।
- उदय पारीक के शब्दों में, अवबोध संवेदी उद्दीपको अथवा समको को प्राप्त करने, चयन करने, संगठित करने, अर्थ प्रतिपादित करने जॉचने तथा उनके प्रति प्रतिक्रिया करने की प्रक्रिया है।
- “स्टेफेन पी रोबिन्स के शब्दों में, “अवबोधन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने वातावरण का अर्थ प्रदान करने के लिए संवेदी प्रभावों को संयोजित एवं विवेचित करते हैं।
- ” रिक्की ग्रिफिन के शब्दों में, “अवबोधन विभिन्न प्रक्रियाओं का समूह है जिनके द्वारा एक व्यक्ति वातावरण के प्रति सजग होता है तथा वातावरण की सूचनाओं से अर्थ-व्याख्या करता है।”