किसी भी किया पर नियंत्रण करने व उसके सम्बन्ध में आवश्यक निर्णय लेने हेतु उस क्रिया से सम्बन्धित सभी सूचनाओं का उपलब्ध होना आवश्यक है। निमार्ण क्रियाओं को भली भांति संचालित करने का दायित्व प्रबन्धकों का होता है तथा प्रबन्धक अपने इस दायित्व का भली-ऑति निर्वाह तभी कर सकता है, जबकि उनके पास आवश्यक सभी सूचनाएँ उपलब्ध हो। अतः प्रबन्ध अंकेक्षक देखेगा कि सूचना प्रणाली सक्षम है या नहीं, प्रबन्धकों को निर्माण से संबंधित आवश्यक सूचनाएँ समय पर उपलब्ध होती है या नहीं, समय पर आवश्यक ऑकडे मिलते है या नहीं। निर्माण क्रियाओं के कुशल संचालन के लिए प्रबन्धकों को प्रमुख रूप से निम्नलिखित सूचनाओं की आवश्यकता होती है
- उत्पाद सम्बन्धी सूचना – प्रबन्धकों को उचित समय पर यह सूचना प्राप्त होनी चाहिए कि कि समय पर,, कौन सी किस्म का कितना माल निर्मित किया जाना है? उत्पादन मात्रा व किस्म का निर्धारण या तो ग्राहकों के आदेशानुसार किया जा सकता है या संस्था स्वयं किसी प्रमापित किस्म की वस्तु की मात्रा का निर्धारण बाजार सर्वेक्षण के आधार पर कर सकती है। बाजार सर्वेक्षण करते समय उपभोक्ताओं की रुचि व फैशन परिवर्तन का ध्यान रखा जाना चाहिए।
- सामग्री सम्बन्धी सूचना – प्रबन्धकों को सामग्री सम्बन्धी सूचनाएँ भी नियमित रूप से प्राप्त होनी चाहिए। प्रबन्धक सामग्री के क्षय को तभी रोक सकते हैं जबकि प्रबन्धको को सामग्री की माँग, प्राप्ति भण्डारण, निर्गमन व अन्तिम स्टॉक के सम्बन्ध में आवश्यक सभी सूचनाएँ नियामीत रूप से उपलब्ध रहे। जो सामग्री उपयोग में आने योग्य नहीं है उसकी कितनी मात्रा है, क्या इसका अन्य उपयोग किया जाना सम्भव है अथवा इसको विक्रय कर दिया जाता है, आदि सूचनाएँ प्रबन्धकों को समय पर मिलनी चाहिए ताकि वे सामग्री के उपलब्ध को रोक सकें।
- उपकरणों सम्बन्धी सूचना – निर्माण कार्य में किन-किन औजारों व उपकरणों की कितनी संख्या में कब-कब आवश्यकता होगी, इस तथ्य का अनुमान इंजीनियरिंग विभाग द्वार लगाकर प्रबन्धकों को सूचित किया जाना चाहिए ताकि प्रबन्धक निर्माण कार्य के लिए आवश्यक औजारों की समय पर व्यवस्था कर सके। प्रबन्धकों को इस तथ्य के सम्बन्ध में भी सूचना प्राप्त होनी चाहिए कि किस उपकरण की कितने समय के लिए आवश्यकता होती ताकि प्रबन्ध यह निर्णय ले सकें कि किस उपकरण व औजार को क्रय किया जाना है या उन्हें किराये पर लिया जाना है।
- उत्पादन क्षमता सम्बन्धी सूचना – वर्तमान में उत्पादन कार्य किस क्षमता पर हो रहा है तथा अधिकतम उत्पादन क्षमता कितनी है, इसकी सूचना हमेशा प्रबन्धकों के पास उपलब्ध रहनी चाहिए। उत्पादन क्षमता के आधार पर ही विक्रय के लिए पुर्वानुमान लगाए जाते है।
- विक्रय प्रत्याशा सम्बन्धी सूचना – विक्रय विभाग को चाहिए कि वह बाजार का विस्तृत विश्लेषण कर प्रबन्धकों को यह सूचना दे कि एक निश्चित अवधि में कितना विक्रय प्रत्याशित है। इसी विक्रय प्रत्याशा के आधार पर प्रबन्धक निर्माण योजना बनाते हैं व निर्माण कार्य के लिए समस्त साधनों, यथा सामग्री, श्रम, उपकरण व यंत्र आदि की व्यवस्था करते हैं। यदि प्रबन्धकों को पूर्वानुमान से अवगत नहीं करवाया गया तो उत्पादन कार्य जारी नहीं रह पाएगा। सूचना प्रणाली की समीक्षा प्रबन्ध अंकेक्षक देखेगा कि प्रबन्धकों को ये सभी सूचनाऐ समय रहते ही उपलब्ध हो जाती है तथा वे इन सूचनाओं का भी भलीभांति अध्ययन करते हैं। योजना निर्माण में तथा आवश्यक साधनों की व्यवस्था करने में भी इन सूचनाओं की सहायता लेनी होती है। सूचनाऐ निर्णयों का आधार हैं अतः निर्माण से संबंधित निर्णय उपलब्ध सूचनाओं व ऑकड़ों के आधार पर ही लिए जाने चाहिए। प्रबन्ध अंकेक्षक यह भी देखेगा कि विभिन्न विभागों से समय-समय पर जो रिपोर्ट व प्रतिवेदन प्राप्त होते हैं उन पर प्रबन्धकों द्वारा आवश्यक कार्यवाही की जाती है या नहीं। सामान्यतः यह देखा गया है कि इन प्रतिवेदनों को दैनिक क्रिया का ही एक अंग माना जाता है तथा प्रबंधक इन रिपोर्टों पर विशेष ध्यान नहीं देते हैं। प्रबन्ध अंकेक्षक को इस प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए आवश्यक प्रयास करना चाहिए।