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Home»Collage Study»लागत अंकेक्षण प्रबन्ध के सहायक के रूप में
Collage Study

लागत अंकेक्षण प्रबन्ध के सहायक के रूप में

adminBy adminMay 14, 2025Updated:May 14, 2025No Comments3 Mins Read
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प्रबन्ध का अर्थ संगठन के उद्देश्य प्राप्त करने के लिए दूसरों से कार्य लेना है। प्रवन्ध में कार्य का विभाजन विभिन्न क्रियात्मक क्षेत्रों यथा, विक्रय, उत्पादन, कार्मिक, क्रय, वित्तीय और लेखे तथा सचिवीय कार्य में किया जाता है। प्रबन्ध तीन स्तरीय होता -उच्च, मध्य व निम्न ।

प्रबन्ध के प्रत्येक कार्य की पाँच क्रियाएँ नियोजन, संगठन, स्टाफिंग, निर्देशन व नियंत्रण होती है। प्रबन्ध को प्रत्येक कार्य पूर्ण कार्यकुशलता व कार्यक्षमता से करना होता है। इसे सही समय पर सही निर्णय भी लेने होते हैं। लागत अंकेक्षण काफी सीमा तक प्रबन्ध के सहायक के रूप में कार्य करता है। लागत अंकेक्षण के प्रबन्ध सहायक के रूप में निम्न कार्य है-

(1) निर्णयन में सहायक – प्रबन्ध को संगठन के लिए नित नये निर्णय लेने होते है। निर्णयन से आशय विभिन्न विकल्पों में से एक सर्वोत्तम को चुनना होता है। लागत अंकेक्षक लागत अंकेक्षण रिपोर्ट में विभिन्न लागत सम्बन्धी ऑकड़े व सांख्यिकीय सूचनाएँ जो पिछले वर्ष व वर्तमान वर्ष से सम्बन्धित होती हैं, प्रबन्ध को उपलब्ध कराता है इसकी सहायता से प्रबन्ध विभिन्न परिस्थितियों में सही निर्णय ले पाता है।

(2) सूचना तंत्र के रूप में सहायक – लागत अंकेक्षक अपनी रिपोर्ट में विभिन्न लागत सूचनाएँ, सांख्यिकीय व वित्तीय ऑकड़े देता है। प्रबन्ध को इससे विभिन्न जानकारियों यथा-लाभदायकता अनुपात, उत्पादन व क्षमता सम्बन्धी ऑकड़े, प्रति इकाई उत्पादन में लगने वाली कच्ची सामग्री, श्रम, उपरिव्यय, मशीन घण्टों आदि का पता लगता है। ये सूचनाएँ प्रबन्ध द्वारा लिए जाने वाले विभिन्न निर्णयों में सहायक होती है।

(3) कम्पनी की विभिन्न क्रियाओं के निर्धारण व समन्वय में सहायक – लेखे रिकॉर्ड नियम व लागत अंकेक्षण प्रतिवेदन नियमों के लागू होने से प्रबन्ध को विभिन्न सूचनायें यथा, उत्पादन लागत, विक्रय की लागत, परिवर्तन लागत आदि मिलती है। इन सभी सूचनाओं से प्रबंध विभिन्न क्रियाओं का निर्धारण व उनमें सही समन्वय कर पाता है।

(4) निम्नांकित अन्य कारणों से लागत अंकेक्षण प्रबन्ध के लिए अत्यधिक उपयोगी है-

  • (a) लागत के विभिन्न विचरणों जैसे सामग्री, श्रम व उपरिव्यय के होने के कारणों को बताता है जिसमें लागतों पर नियंत्रण आसान होता है, इससे लाभदायकता बढ़ाने में मदद मिलती है।
  • (b) वस्तु/सेवा की लागत पूर्व में (Advance) में ही ज्ञात की जा सकती है।
  • (c) कुछ निर्णय कुल लागत पर न लिए जाकर सीमान्त लागत पर लिए हैं। इस उद्देश्य के लिए अंकेक्षण रिपोर्ट विभिन्न ऑकड़े उपलब्ध कराती है।
  • (d) सरकारी विभागों द्वारा लिए जाने वाले विभिन्न निर्णयों के लिए अंकेक्षण रिपोर्ट विभिन्न सूचनाएँ उपलब्ध कराती है।
  • (e) लागत अंकेक्षण रिपोर्ट के सही अध्ययन से प्रबन्ध अपनी ताकतों (Strength) व कमजोरियों (Weaknesses) को जान सकता है।

लागत अंकेक्षण की आलोचना

लागत अंकेक्षण को अनिवार्य रूप से लाग करने के सम्बन्ध में व्यापारियों व उ‌द्योगपतियों द्वारा निम्नलिखित बिन्दुओं पर आलोचना की जाती है –

  • (a)सामान्यतः सम्पूर्ण वित्तीय अंकेक्षण (जिसमें कि निर्माणी खाता भी शामिल) वैधानिक अंकेक्षक या आन्तरिक अंकेक्षक द्वारा किया जाता है तो लागत अंकेक्षण की अलग से क्या आवश्यकता है।
  • (b)लागत अंकेक्षण प्रबन्ध कार्यों में बेकार ही रुकावट उत्पन्न करता है।
  • (c)लागत लेखे लागत लेखापाल (Cost Accountant) द्वारा तैयार किये जाते हो लागत अंकेक्षण की क्या आवश्यकता? क्योंकि लागत अंकेक्षण भी लागत लेखापाल द्वारा ही किया।
  • (d)प्रायः सभी निर्माणी संस्थाएँ अपने यहाँ वित्तीय लेखों का अंकेक्षण करवाती हैं जिसमें लागत लेखों की भी जाँच होती है तो अलग से लागत अंकेक्षण की कोई आवश्यकता नहीं रहती।
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